मध्यप्रदेश सरकार ने कहा है कि मछुआ समुदाय की सुरक्षा और समृद्धि राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने बताया कि राज्य के बड़े जलाशयों में मछुआरों की सुरक्षा और मत्स्य संसाधनों के सतत उपयोग के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के सबसे बड़े जलाशयों में शामिल इंदिरा सागर में ड्रोन, जीपीएस और सीसीटीवी से सुसज्जित कंट्रोल कमांड रूम की स्थापना की जा रही है। यह प्रणाली मछुआरों की 24x7 निगरानी, आपात स्थिति में त्वरित सहायता और ब्रीडिंग ग्राउंड की पहचान में मदद करेगी। ड्रोन के जरिए जल क्षेत्र की लाइव मॉनिटरिंग और नावों की जीपीएस से सीधी ट्रैकिंग संभव होगी।
वर्षा ऋतु में जलाशयों के टापुओं पर बढ़ते जलस्तर के कारण मछुआरों को जोखिम उठाना पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए गांधी सागर और इंदिरा सागर में 5 ट्रांजिट हाउस और 2 फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे। इनमें भोजन निर्माण, सोलर मोबाइल चार्जिंग, बायो टॉयलेट जैसी सुविधाएं मिलेंगी। यह व्यवस्था विशेष रूप से उन मछुआरों के लिए फायदेमंद होगी जो 15 दिन से एक माह तक जलाशयों के किनारों या टापुओं पर रुकते हैं।
मछुआ समुदाय को वैश्विक स्तर की मछलीपालन तकनीक से जोड़ने के लिए भोपाल में 5 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक केवट प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जा रही है। यह संस्थान फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फंड योजना के अंतर्गत बन रहा है, जहां मछुआरों को केज कल्चर, बायोफ्लॉक, रिसर्क्युलेटरी एक्वा कल्चर, फिश प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और वैल्यू एडिशन जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण मिलेगा।
सरकार की समग्र पहल: राज्य सरकार की यह समग्र पहल मछुआरों की सुरक्षा, आजीविका और प्रशिक्षण के साथ-साथ जल संसाधनों के टिकाऊ प्रबंधन और मत्स्य उत्पादन में वृद्धि की दिशा में एक बड़ा कदम है। तकनीक के इस समावेश से मध्यप्रदेश में मत्स्याखेट और मछली पालन एक नए युग में प्रवेश कर रहा है।