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Organic farming: अब जैविक खेती में भी मिलेगा समर्थन मूल्य (MSP), 2 लाख से ज्यादा किसान जुड़े हैं प्राकृतिक खेती से

जैविक खेती
जैविक खेती

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये राज्य ने एक पहल शुरू किया है। हिमाचल प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां रासायन मुक्त फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदा जा रहा है। हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित ‘मंथन बैठक’ के दौरान केद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस पहल की खुलकर सराहना की।
अमित शाह ने कहा, “हिमाचल में प्राकृतिक खेती में बहुत अच्छे प्रयोग हुए हैं।” उन्होंने इसे सतत कृषि की दिशा में एक प्रभावी मॉडल बताया, जो पूरे देश के लिए प्रेरणा बन सकता है।

फसलों के लिए तय हुआ समर्थन मूल्य Support price fixed for crops:

राज्य सरकार द्वारा मक्का, गेहूं और हल्दी जैसी प्रमुख प्राकृतिक फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। पिछले वर्ष मक्का का MSP ₹30 प्रति किलो था, जिसे इस बार बढ़ाकर ₹40 प्रति किलो कर दिया गया है। अब तक 1,509 किसानों से लगभग 400 मीट्रिक टन मक्का खरीदी जा चुकी है। गेहूं की खरीद ₹60 प्रति किलो पर की जा रही है, जबकि प्राकृतिक हल्दी ₹90 प्रति किलो के MSP पर ‘हिमाचल हल्दी’ ब्रांड के अंतर्गत बेची जाएगी।

2 लाख से अधिक किसान जुड़ चुके हैं आंदोलन से:

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि प्रदेश की लगभग सभी पंचायतों के 2.23 लाख किसान और बागवान अब तक आंशिक या पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं। सरकार का लक्ष्य है कि चरणबद्ध तरीके से 9.61 लाख किसानों को इस पद्धति से जोड़ा जाए।

चंबा के पांगी क्षेत्र को बनाया गया पहला प्राकृतिक खेती उपमंडल:

सरकार ने चंबा जिले के पांगी उपमंडल को प्रदेश का पहला ‘प्राकृतिक खेती उपमंडल’ घोषित किया है। यहां की 2,920 हेक्टेयर कृषि भूमि को पूरी तरह रासायन मुक्त बनाने की योजना है, जिसमें खेती, बागवानी और अन्य कृषि गतिविधियां शामिल होंगी। वर्तमान में यहां की 2,244 परिवार जैविक खेती कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, “यह पहल न केवल पारंपरिक खेती और देशज बीजों को संरक्षित करती है, बल्कि आदिवासी क्षेत्रों की सांस्कृतिक पहचान और आजीविका को भी मजबूत करती है।” इससे पहाड़ी क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय किसानों को उचित मूल्य मिलेगा, जो पहले अपनी भूमि किराए पर देकर बाहर काम करने जाते थे।

रासायन मुक्त फसलों के लिए विशेष मंडी अवसंरचना: राज्य सरकार 10 मंडियों में प्राकृतिक उत्पादों की मार्केटिंग के लिए विशेष बुनियादी ढांचा विकसित कर रही है। 'प्राकृतिक खेती–खुशहाल किसान योजना' के अंतर्गत वर्ष 2023–24 और 2024–25 के दौरान कुल ₹27.60 करोड़ खर्च किए गए हैं।

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