भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का 97वां स्थापना दिवस नई दिल्ली स्थित नास्क कॉम्प्लेक्स के भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम सभागार में धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में वैज्ञानिकों को आधुनिक युग के ऋषि बताते हुए उनके समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयासों से भारत कृषि क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में खाद्यान्न, बागवानी और दुग्ध उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। खाद्यान्न उत्पादन में 2013–2025 के दौरान 8.1 मिलियन टन प्रति वर्ष की औसत वृद्धि हुई है, जो अब तक की सबसे तेज़ दर है। बागवानी उत्पादन में हर साल करीब 7.5 मिलियन टन की वृद्धि दर्ज की गई है। दुग्ध उत्पादन 2014 से 2025 के बीच 10.2 मिलियन टन प्रतिवर्ष बढ़ा है।
मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में एक नई कृषि क्रांति शुरू हो चुकी है। अब हम न केवल आत्मनिर्भर हैं, बल्कि गेहूं और चावल जैसे अनाजों का निर्यात भी कर रहे हैं। इस अवसर पर ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की भी सराहना की गई, जिससे अब तक 500 शोध विषय सामने आए हैं जिन पर केंद्रित अनुसंधान किया जाएगा।
श्री चौहान ने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि तिलहन और दलहन फसलों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने के लिए गहन अनुसंधान करें। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में सुधार, भारत को खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बना सकता है।
छोटे किसानों के लिए छोटे यंत्रों की जरूरत: मंत्री ने कहा कि भारत में अधिकांश किसान सीमांत भूमि पर खेती करते हैं, इसलिए उन्हें छोटे, किफायती और कार्यक्षम कृषि यंत्रों की आवश्यकता है। इसके लिए वैज्ञानिकों को अनुसंधान में प्राथमिकता देनी चाहिए।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि किसानों को अनावश्यक उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर करना या मिलावटी बीज और खाद बेचना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत की जाएगी और 'जन औषधि केंद्र' की तरह सस्ते उर्वरक केंद्रों की योजना भी बनाई जा रही है।
अब शोध एजेंडा सिर्फ दिल्ली में नहीं बनेगा, बल्कि किसानों की ज़रूरतों के मुताबिक मैदान से जुड़े शोध किए जाएंगे। “एक टीम, एक लक्ष्य” के सिद्धांत पर काम करते हुए कृषि वैज्ञानिकों को क्षेत्रीय समस्याओं पर हल निकालने के लिए सक्रिय रहना होगा।