जिले में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई ई-टोकन एवं उर्वरक वितरण प्रणाली किसानों के लिए राहत का माध्यम बन गई है। इस व्यवस्था से अब किसानों को खाद प्राप्त करने के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़ा नहीं होना पड़ता। डबल लॉक केंद्र पर पहुंचते ही उन्हें अपनी आवश्यकता अनुसार खाद आसानी से मिल जाती है। यही वजह है कि किसान अब इस प्रणाली को न केवल पसंद कर रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
सोमवार को कृषि विभाग के अधिकारी उप संचालक कृषि डॉ. एस. के. निगम, सहायक संचालक कृषि रवि आम्रवंशी, अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ. इंदिरा त्रिपाठी, और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एस. के. परतेती ने शहपुरा और पाटन के डबल लॉक केंद्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने ई-टोकन के माध्यम से खाद प्राप्त करने आए किसानों से बातचीत की और उनकी राय जानी।
किसानों ने बताया कि इस नई प्रणाली से उन्हें तेजी और सुविधा दोनों मिल रही हैं। ई-टोकन जनरेट करने में महज 5 मिनट का समय लगता है और अब बार-बार वितरण केंद्र के चक्कर लगाने की परेशानी से भी छुटकारा मिल गया है।
किसानों ने बताया कि पहले उन्हें खाद प्राप्त करने के लिए टोकन लेने में काफी समय लगता था और टोकन मिलने के बाद भी केंद्र पर लंबी लाइनों में खड़ा रहना पड़ता था। अब ई-टोकन प्रणाली लागू होने से यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और तेज हो गई है। किसान अपनी सुविधानुसार ई-टोकन जनरेट कर सकते हैं और तय समय पर केंद्र से खाद प्राप्त कर सकते हैं।
शहपुरा डबल लॉक केंद्र पर खाद लेने पहुंचे युवा किसान आदि जैन ने बताया कि उनके पिता ने ग्राम छपरट में सिकमी पर जमीन ली है और वे खेती में उनका सहयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि जिस किसान से जमीन ली है, उसी के माध्यम से ई-टोकन जनरेट करवाया और ओटीपी के जरिए खाद प्राप्त की। उन्हें न तो किसी लाइन में लगना पड़ा और न ही कोई परेशानी हुई।
उप संचालक कृषि डॉ. एस. के. निगम ने बताया कि किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ई-टोकन वितरण पोर्टल को अपडेट किया गया है। अब किसान पंजीयन में हुई त्रुटियों को स्वयं सुधार सकते हैं, वहीं एग्रीस्टेक से भूमि संबंधी जानकारी प्रदर्शित न होने की स्थिति में “भू-अभिलेख जोड़ें” लिंक से खसरे जोड़ सकते हैं।
उन्होंने बताया कि अब मंदिर या ट्रस्ट की भूमि, संयुक्त भूमि, और सिकमी भूमि पर खेती करने वाले किसान भी अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की आईडी से सत्यापन के बाद ई-टोकन जनरेट कर सकते हैं।
खाद की सहज उपलब्धता और किसान संतुष्टि में वृद्धि: डॉ. निगम ने कहा कि ई-टोकन प्रणाली से खाद वितरण प्रक्रिया अब अधिक सुगम, पारदर्शी और समयबद्ध बन गई है। किसानों को उनकी मांग के अनुसार उचित मात्रा में खाद मिल रही है और विभाग को भी वितरण की निगरानी में आसानी हो रही है।
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