• होम
  • सीहोर में अब नरवाई जलाई तो खैर नहीं! कलेक्टर ने लगाया पूरा ब...

सीहोर में अब नरवाई जलाई तो खैर नहीं! कलेक्टर ने लगाया पूरा बैन, जानें पूरा आदेश

सीहोर जिले में नरवाई जलाने पर रोक
सीहोर जिले में नरवाई जलाने पर रोक

सीहोर जिले में खेतों में नरवाई जलाने पर अब पूरी तरह रोक लगा दी गई है। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री बालागुरू के. ने निषेधात्मक आदेश जारी करते हुए जिले की संपूर्ण राजस्व सीमा में नरवाई जलाने पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। यह आदेश पर्यावरण संरक्षण, जनसुरक्षा और आगजनी की घटनाओं की रोकथाम को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है, जो 31 दिसंबर 2025 तक प्रभावी रहेगा। कलेक्टर ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति इस आदेश का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

किसान रोटावेटर या कृषि यंत्रों से करें खेत की जुताई:

आदेश के अनुसार, जो किसान अपने खेतों की जुताई करना चाहते हैं, वे रोटावेटर या अन्य आधुनिक कृषि यंत्रों की मदद से फसल अवशेषों को मिट्टी में मिला सकते हैं। यदि कोई किसान खेत में नरवाई जलाते हुए पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

कलेक्टर के निर्देशानुसार:

  1. जिन किसानों की भूमि दो एकड़ से अधिक और पाँच एकड़ से कम है, उनसे प्रति घटना ₹5,000 का पर्यावरणीय मुआवजा वसूला जाएगा।
  2. वहीं जिनकी भूमि पाँच एकड़ या उससे अधिक है, उनसे प्रति घटना ₹15,000 का पर्यावरणीय मुआवजा लिया जाएगा।

कलेक्टर ने सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे किसानों को नरवाई न जलाने के लिए प्रेरित करें और ऐसे मामलों की सतत निगरानी करें, ताकि जिले में कोई भी किसान नरवाई न जलाए।

नरवाई जलाने से मिट्टी, पर्यावरण और स्वास्थ्य पर असर:

फसलों की कटाई के बाद कई किसान खेतों में बची नरवाई, भूसा या फसल अवशेष जलाकर नष्ट कर देते हैं। इससे वायुमंडल में धुआं फैलता है, जो न केवल वायु प्रदूषण बढ़ाता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और नमी को भी कम कर देता है। इस प्रक्रिया से मृदा में मौजूद सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं, जिससे जमीन की गुणवत्ता पर दीर्घकालिक असर पड़ता है। साथ ही, खेतों के पास से गुजरने वाली बिजली की लाइनों को नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है, जिससे विद्युत आपूर्ति बाधित होती है और कभी-कभी गंभीर दुर्घटनाएं भी घटित हो जाती हैं।

पर्यावरण और जनसुरक्षा को बचाने की पहल:

नरवाई जलाने से न केवल पर्यावरण को क्षति होती है, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण के कारण सांस संबंधी बीमारियों में वृद्धि होती है और आस-पास के वनस्पति तंत्र व जैव विविधता को नुकसान पहुंचता है। कई बार ऐसी आग आवासीय इलाकों, पशुओं और संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाती है।

ये भी पढ़ें- आलू के लिए अब बंगाल पर निर्भर नहीं रहेगा ओडिशा, ये है खास योजना

लेटेस्ट
khetivyapar.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण जानकारी WhatsApp चैनल से जुड़ें