भारत सरकार किसानों को समय पर और रियायती दरों पर उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू कर रही है। इस व्यवस्था के अंतर्गत देशभर की हर खुदरा उर्वरक दुकान पर पीओएस मशीन लगाई गई है, जिससे आधार प्रमाणीकरण के जरिए किसानों को उर्वरक की बिक्री की जाती है और उर्वरक कंपनियों को 100 प्रतिशत सब्सिडी सीधे प्रदान की जाती है।
किसानों को वैधानिक रूप से निर्धारित अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर यूरिया उपलब्ध कराया जा रहा है। 45 किलोग्राम यूरिया बैग की कीमत ₹242 (नीम कोटिंग शुल्क और टैक्स को छोड़कर) तय है। खेत तक पहुंचने में लगने वाली अतिरिक्त लागत और बाजार मूल्य के अंतर को सरकार यूरिया उत्पादकों/आयातकों को सब्सिडी के रूप में देती है, जिससे सभी किसानों को एक समान रियायती दर पर यूरिया मिल रहा है।
सरकार ने वर्ष 2022-23 से 2025-26 (21 जुलाई 2025 तक) के दौरान कुल ₹6,76,678.77 करोड़ की उर्वरक सब्सिडी प्रदान की है। इसमें स्वदेशी और आयातित यूरिया के साथ-साथ फॉस्फेटिक और पोटाशिक (P&K) उर्वरकों को भी शामिल किया गया है।
वित्त वर्ष | कुल सब्सिडी (₹ करोड़ में) |
2022–23 | ₹2,54,798.88 |
2023–24 | ₹1,95,420.51 |
2024–25 | ₹1,77,129.50 |
2025–26* | ₹49,329.88 (21 जुलाई तक) |
कुल योग | ₹6,76,678.77 |
पीएंडके उर्वरकों पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति:
सरकार ने 1 अप्रैल 2010 से पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति लागू की है। इस नीति के तहत P&K उर्वरकों पर उनकी पोषकता के अनुसार वार्षिक सब्सिडी निर्धारित की जाती है। कंपनियाँ बाजार के अनुसार एमआरपी तय करती हैं, लेकिन इसकी निगरानी सरकार करती है ताकि किसानों को उचित मूल्य पर उर्वरक मिले।
हर किसान को बिना भेदभाव मिल रहा है लाभ: डीबीटी प्रणाली के अंतर्गत किसी विशेष लाभार्थी की शर्त नहीं है। कोई भी किसान चाहे वह छोटा, सीमांत या बड़ा हो आधार प्रमाणीकरण के साथ किसी भी अधिकृत दुकान से उर्वरक खरीद सकता है। यह व्यवस्था पारदर्शिता सुनिश्चित करती है और किसी भी किसान को रियायती दर से वंचित नहीं करती।
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