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PM Irrigation Mission: हर खेत को पानी, हर किसान को राहत – प्रधानमंत्री सिंचाई मिशन की उड़ान

प्रधानमंत्री सिंचाई मिशन
प्रधानमंत्री सिंचाई मिशन

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) की शुरुआत वर्ष 2015-16 में की गई थी। इसका उद्देश्य किसानों को खेत तक जल की भौतिक उपलब्धता बढ़ाना, सिंचित क्षेत्र का विस्तार करना, खेत स्तर पर जल उपयोग की दक्षता में सुधार करना और जल संरक्षण की टिकाऊ विधियों को अपनाना है।

एक व्यापक छतरी योजना:

PMKSY एक छतरी योजना है, जिसके अंतर्गत दो प्रमुख घटक शामिल हैं:

  • त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP)
  • हर खेत को पानी (HKKP)

HKKP के अंतर्गत चार उप-घटक शामिल हैं:

  • कमांड एरिया डेवलपमेंट और जल प्रबंधन (CAD&WM)
  • सतही सूक्ष्म सिंचाई (SMI)
  • जलाशयों की मरम्मत, नवीनीकरण और पुनर्स्थापन (RRR)
  • भूजल विकास (GW)

CAD&WM को AIBP के साथ समानांतर रूप से लागू किया जा रहा है।

योजना का वर्तमान कार्यान्वयन:

भारत सरकार ने इस योजना को वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक के लिए पुनः स्वीकृति दी है। हालांकि, HKKP के अंतर्गत भूजल घटक को केवल 2021-22 तक की प्रतिबद्ध देनदारियों के लिए अस्थायी मंजूरी दी गई थी, जिसे अब चालू कार्यों की पूर्णता तक बढ़ा दिया गया है।
अन्य मंत्रालयों द्वारा क्रियान्वित घटक

PMKSY के अन्य दो घटक अन्य मंत्रालयों द्वारा संचालित हैं:

  • वाटरशेड विकास घटक (WDC): ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग द्वारा संचालित।
  • प्रति बूँद अधिक फसल (PDMC): प्रारंभ से 2021 तक यह योजना कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अंतर्गत PMKSY का हिस्सा रही। अब इसे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत क्रियान्वित किया जा रहा है।

भूमि अधिग्रहण और जल दक्षता की दिशा में प्रगति:

सिंचाई परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भूमि अधिग्रहण एक बड़ी चुनौती रही है। PMKSY परियोजनाओं के अंतर्गत भूमिगत पाइपलाइनों के माध्यम से लगभग 55,290 किमी वितरण नेटवर्क का निर्माण कर 76,594 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता को टाल दिया गया है। कुछ परियोजनाओं में SCADA आधारित जल वितरण प्रणाली और माइक्रो इरिगेशन अपनाने से जल उपयोग की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

निगरानी और पारदर्शिता: PMKSY परियोजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति की निगरानी एक समर्पित डैशबोर्ड और प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) के माध्यम से की जा रही है, जिससे लगभग रीयल-टाइम में प्रगति और अड़चनों की पहचान संभव हुई है। परियोजनाओं से संबंधित समस्याएं प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग ग्रुप  पोर्टल के माध्यम से निगरानी में रखी जाती हैं, जहां भूमि अधिग्रहण, वैधानिक मंजूरी आदि जैसे मुद्दों का नियमित समाधान किया जाता है, जिससे परियोजनाओं की शीघ्र पूर्णता सुनिश्चित की जा सके।

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