भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच 24 जुलाई 2025 को व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) हुआ, जिससे भारतीय सीफूड उद्योग को बड़ी राहत और नए अवसर मिलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री सर कीयर स्टारमर की उपस्थिति में यह समझौता भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के व्यापार सचिव श्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने हस्ताक्षरित किया।
CETA के तहत, 99% टैरिफ लाइनों पर अब पूरी तरह से शुल्क मुक्त प्रवेश मिलेगा। विशेष रूप से समुद्री उत्पादों के लिए, यह समझौता झींगा, स्क्विड, लॉब्स्टर, पाम्फ्रेट जैसे उच्च-मूल्य उत्पादों पर लगने वाले शुल्क को समाप्त करता है, जिससे भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
अब भारतीय निर्यातकों को वैनामी झींगा, फ्रोजन स्क्विड, लॉब्स्टर, ब्लैक टाइगर श्रिम्प जैसे उत्पादों पर कोई आयात शुल्क नहीं देना होगा। पहले इन पर 0 प्रतिशत से 21.5 प्रतिशत तक शुल्क लगता था। अब इस शुल्क हटने से इन उत्पादों की कीमत UK में और आकर्षक हो जाएगी।
वित्त वर्ष 2024–25 में भारत का कुल समुद्री उत्पाद निर्यात $7.38 बिलियन (₹60,523 करोड़) तक पहुंचा, जिसमें से झींगा का हिस्सा 66% रहा। अकेले UK को सीफूड निर्यात $104 मिलियन (₹879 करोड़) का हुआ, लेकिन भारत की UK के $5.4 बिलियन के सीफूड बाज़ार में हिस्सेदारी केवल 2.25% रही।
अब CETA लागू होने के बाद यह हिस्सेदारी 70% तक बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे मछुआरों, प्रोसेसरों और निर्यातकों को बड़ा लाभ होगा।
भारत बन रहा है वैश्विक सीफूड हब:
पिछले 10 वर्षों में भारत के समुद्री उत्पाद निर्यात में 60% से अधिक की वृद्धि हुई है। निर्यात देशों की संख्या 100 से बढ़कर 130 हो गई है और वैल्यू एडेड उत्पादों का निर्यात तीन गुना होकर ₹7,666 करोड़ तक पहुंच गया है।
आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे तटीय राज्य, जो पहले से ही सीफूड निर्यात में अग्रणी हैं, अब CETA का लाभ उठाकर UK जैसे प्रीमियम मार्केट में अपनी पैठ और मजबूत कर सकते हैं।
CETA: मछुआरों के लिए अवसरों की नई लहर:
CETA सिर्फ एक व्यापार समझौता नहीं, बल्कि भारत के लाखों मछुआरों के लिए एक सुनहरा अवसर है। यह न केवल आय बढ़ाएगा, बल्कि भारत को उच्च गुणवत्ता और टिकाऊ समुद्री उत्पादों के वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करेगा।
अब भारत वियतनाम और सिंगापुर जैसे देशों के समकक्ष खड़ा हो गया है, जो पहले से UK के साथ FTA का लाभ ले रहे थे। CETA से भारतीय निर्यातकों को वह बराबरी का मैदान मिला है, जिसकी उन्हें लंबे समय से प्रतीक्षा थी।