कृषि विपणन एक राज्य का विषय है, इसलिए विभिन्न राज्यों ने स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार कृषि उपज विपणन समितियां स्थापित की हैं, ताकि विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को समर्थन मिल सके।
किसानों को बिचौलियों से मुक्त कर उचित मूल्य पर अपनी उपज बेचने की सुविधा देने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM) प्लेटफॉर्म शुरू किया। इस डिजिटल मंच ने ग्रामीण किसानों को व्यापक बाज़ार तक पहुंच, बेहतर मूल्य खोज, लेनदेन लागत में कमी, स्थानीय मंडियों पर निर्भरता घटाने और आय बढ़ाने के अवसर प्रदान किए हैं। इसके साथ ही, यह प्लेटफॉर्म ऑनलाइन भुगतान के माध्यम से अधिक पारदर्शिता, दक्षता और वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा दे रहा है।
30 जून 2025 तक, 23 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों की 1,522 मंडियों को ई-नाम प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा चुका है। जून 2024 से जून 2025 के बीच इस प्लेटफॉर्म पर व्यापारिक मात्रा में 21% की वृद्धि और व्यापारिक मूल्य में 22% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
केंद्र सरकार हर वर्ष 22 अधिसूचित कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करती है। यह निर्णय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिशों, राज्यों के विचारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों से परामर्श के बाद लिया जाता है। वर्ष 2018-19 से सभी अधिसूचित खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के समर्थन मूल्य में उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशी का लाभ सुनिश्चित किया गया है।
सरकारी खरीद और PM-AASHA योजना:
वित्तीय वर्ष 2014-15 से 30 जून 2025 तक, सरकार ने किसानों से 315.19 लाख मीट्रिक टन तेलहन, दाल और नारियल की खरीद की है, जिसका मूल्य ₹1,69,980.90 करोड़ रहा। किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत मूल्य समर्थन योजना (PSS) और मूल्य अंतर भुगतान प्रणाली (PDPS) के माध्यम से विशेष रूप से दलहन, तिलहन और नारियल की खरीद की जाती है।
ये भी पढ़ें- पीएम फसल बीमा योजना से 35 लाख किसानों को फायदा