खेती को उन्नत बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही हैं। इन्हीं में से एक है ड्रिप मल्चिंग योजना, जिसका उद्देश्य किसानों को ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग तकनीक से जोड़कर जल संरक्षण, उत्पादन में वृद्धि और मिट्टी की गुणवत्ता सुधार को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत किसानों को सरकारी अनुदान भी दिया जाता है, ताकि वे इस उन्नत तकनीक को अपनाकर कम लागत में अधिक लाभ कमा सकें।
इस तकनीक में खेत की मिट्टी को विशेष प्लास्टिक मल्च से ढक दिया जाता है और पौधों को बूंद-बूंद सिंचाई के माध्यम से पानी दिया जाता है। इससे 50 से 60 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है और फसल की गुणवत्ता व उत्पादन में उल्लेखनीय सुधार होता है।
सीहोर जिले के एक किसान पहले पारंपरिक खेती करते थे जिसमें पानी, मेहनत और लागत अधिक लगती थी लेकिन उत्पादन सीमित होता था। जब उन्हें "ड्रिप मल्चिंग योजना" की जानकारी मिली तो उन्होंने आवेदन कर योजना का लाभ लिया और अपने खेतों में इस तकनीक से तरबूज की खेती शुरू की। उन्हें अपेक्षा से कहीं अधिक उत्पादन मिला और खरपतवार की समस्या भी लगभग समाप्त हो गई। वर्तमान में वह किसान मिर्च और बैंगन की खेती भी ड्रिप मल्चिंग तकनीक से कर रहे हैं, जिससे उन्हें कम लागत में अधिक आमदनी हो रही है।
किसान का कहना है, पहले जहां मेहनत अधिक और मुनाफा कम था, अब वही खेत मुझे दोगुनी आमदनी दे रहे हैं। ड्रिप मल्चिंग योजना ने मेरी खेती को एक नई दिशा दी है। उनकी यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि यदि किसान सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूक हों और समय पर उनका लाभ उठाएं, तो वे न केवल अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं बल्कि खेती को लाभकारी व्यवसाय में भी बदल सकते हैं।
ड्रिप मल्चिंग योजना छोटे और मध्यम किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही है। यह तकनीक जल, उर्वरक और श्रम की बचत के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता की फसल उत्पादन को भी सुनिश्चित करती है।
तकनीक और योजना से बदली किस्मत: ड्रिप मल्चिंग योजना उन किसानों के लिए अवसर है, जो कम संसाधनों में भी बेहतर उत्पादन और लाभ की तलाश में हैं। किसान प्रमोद कासनिया जैसे उदाहरण यह दिखाते हैं कि तकनीक और जागरूकता से खेती को कैसे बदला जा सकता है।
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