केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए डिजिटल तकनीक का प्रभावी उपयोग कर रही है। वर्ष 2016 में राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (ई-नाम) की शुरुआत की गई, ताकि किसान अपनी उपज को पारदर्शिता के साथ देशभर के कई खरीदारों को ऑनलाइन बेच सकें।
किसान उत्पादक संगठन (FPOs) को भी ई-नाम, ओएनडीसी (Open Network for Digital Commerce) और GeM (Government e-Marketplace) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़ा गया है, जिससे उन्हें व्यापक बाजार पहुँच और बेहतर मूल्य मिलने लगा है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी एक वर्किंग पेपर “भारत में सब्जियों की महंगाई – टमाटर, प्याज और आलू का अध्ययन” के अनुसार उपभोक्ता द्वारा दिए गए हर एक रुपये में से किसानों को औसतन केवल 33% टमाटर के लिए, 36% प्याज के लिए और 37% आलू के लिए प्राप्त होता है। एक अन्य अध्ययन “भारत में फलों की मूल्य श्रृंखला” में पाया गया कि केले के लिए किसानों को 31%, अंगूर के लिए 35% और आम के लिए 43% हिस्सेदारी मिलती है।
सरकार केवल उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर ही नहीं, बल्कि बाजार से जुड़ाव और फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने पर भी ध्यान दे रही है, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके।
कृषि अवसंरचना को मज़बूत करने वाली प्रमुख योजनाएं:
निष्कर्ष: डिजिटल प्लेटफॉर्म, आधुनिक भंडारण सुविधाएं और मूल्य श्रृंखला में सुधार जैसे उपाय किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने और आय को स्थायी रूप से बढ़ाने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।