राज्य सरकार अब उपार्जन की प्रक्रिया को और अधिक सरल और किफायती बनाने जा रही है। इसके तहत अब गोदामों में ही उपार्जन केन्द्र स्थापित किए जाएंगे। इस व्यवस्था से किसानों से खरीदे गए अनाज को सीधे गोदामों में संग्रहित किया जा सकेगा और परिवहन लागत में बड़ी बचत होगी।
रबी सीजन में प्रदेश के लगभग 9 लाख किसानों से 77 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी की गई। इसके एवज में 20 हजार करोड़ रुपये सीधे किसानों के बैंक खातों में अंतरित किए गए। राज्य सरकार ने गेहूं पर 175 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस भी दिया।
इसी तरह 6.5 लाख किसानों से 43.5 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उपार्जन प्रक्रिया में आधार नंबर को अनिवार्य किया गया है तथा मिलर्स को धान की आपूर्ति सीधे उपार्जन केन्द्रों से ही की जा रही है।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि उचित मूल्य की दुकानों को जन पोषण केन्द्र के रूप में विकसित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। इंदौर जिले में इसकी शुरुआत हो चुकी है। पीडीएस प्रणाली में ई-केवाईसी के बाद अपात्र उपभोक्ताओं को बाहर किया गया है और लगभग 5 लाख 70 हजार नए पात्र उपभोक्ताओं को सूची में जोड़ा गया है।
भारतीय कपास निगम लिमिटेड (CCI) ने कपास किसानों की सुविधा के लिए ‘कपास किसान’ मोबाइल एप विकसित किया है। इसके माध्यम से किसान कपास मौसम 2025-26 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के अंतर्गत स्वयं आधार आधारित पूर्व-पंजीकरण कर सकेंगे। यह एप 30 अगस्त 2025 से गूगल प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर पर उपलब्ध है। पंजीकरण प्रक्रिया 1 सितंबर से लेकर 30 सितंबर 2025 तक चलेगी। किसान इस एप के जरिए कृषि उपज मंडी केंद्र में स्लॉट बुकिंग भी कर सकते हैं।
किसानों से अपील: सभी पात्र किसान आगामी कपास मौसम 2025-26 में एमएसपी मूल्य के अंतर्गत योजना का लाभ उठाने के लिये समय पर ओटीपी आधारित पंजीकरण अवश्य पूर्ण करें। अधिक जानकारी के लिए नजदीकी कृषि उपज मंडी समिति या कपास खरीद केंद्र से संपर्क किया जा सकता है।
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