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प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मिली कैबिनेट की मंजूरी, 100 जिलों में शुरू होगा विशेष अभियान

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दे दी है। यह योजना देश के उन जिलों में लागू की जाएगी, जहां कृषि उत्पादकता कम है या किसान कृषि क्रेडिट कार्ड (ACC) का कम उपयोग करते हैं।

उत्पादकता में असमानता, नई योजना से होगी भरपाई:

श्री चौहान ने बताया कि बीते वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन में 40% से अधिक की बढ़ोतरी हुई है, वहीं फल, सब्ज़ी और दुग्ध उत्पादन में भी ऐतिहासिक प्रगति दर्ज हुई है। बावजूद इसके, राज्यों और ज़िलों के बीच कृषि उत्पादकता में भारी अंतर बना हुआ है। इस अंतर को कम करने के लिए सरकार ने 100 जिलों को चयनित करने का निर्णय लिया है, जिसमें हर राज्य से कम से कम एक जिला शामिल होगा।

योजनाओं का समन्वय और ज़मीनी क्रियान्वयन:

इन ज़िलों में केंद्र और राज्य सरकारों की 11 मंत्रालयों की योजनाओं को एक साथ मिलाकर लागू किया जाएगा। इसके लिए हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जिनका चयन जुलाई के अंत तक किया जाएगा। अगस्त से प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान की शुरुआत की जाएगी।

NITI आयोग बनाएगा प्रगति पर नज़र रखने वाला डैशबोर्ड : श्री चौहान ने कहा कि नीति आयोग ज़िला स्तर पर प्रगति को मापने के लिए विशेष संकेतकों के आधार पर डैशबोर्ड तैयार करेगा। यह अभियान अक्टूबर के रबी सीजन से शुरू होगा।

ज़िला से लेकर केंद्रीय स्तर तक बनेंगी निगरानी समितियां:

प्रत्येक जिले में ग्राम पंचायत या जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी, जिसमें संबंधित विभागों के अधिकारी, प्रगतिशील किसान और अन्य विशेषज्ञ शामिल होंगे। इसी तरह, राज्य स्तर और केंद्रीय स्तर पर भी दो समितियां बनाई जाएंगी, एक केंद्रीय मंत्रियों की अध्यक्षता में और दूसरी सचिवों की देखरेख में।

खेती के साथ-साथ मत्स्य पालन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन पर भी फोकस:

श्री चौहान ने स्पष्ट किया कि योजना का लक्ष्य सिर्फ ज़िलों की औसत उत्पादकता बढ़ाना नहीं है, बल्कि उन्हें देश के सबसे उत्पादक ज़िलों की कतार में लाना है। इस अभियान में पारंपरिक खेती के साथ-साथ फलों की खेती, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, पशुपालन और एग्रोफॉरेस्ट्री जैसे क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।

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