भारत सरकार लगातार कृषि तकनीक (AgriTech) स्टार्टअप्स के तेज विकास और कृषि में उभरती तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), प्रिसिजन फार्मिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी और क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठा रही है। इसके लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए जा रहे हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग वर्ष 2018-19 से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत ‘नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास’ कार्यक्रम चला रहा है। इसका उद्देश्य स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता देना और देश में एक मज़बूत इनक्यूबेशन इकोसिस्टम तैयार करना है।
इस कार्यक्रम के तहत छह नॉलेज पार्टनर (KP) और 24 RKVY एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर (R-ABI) नामित किए गए हैं। आइडिया/प्री-सीड स्टेज स्टार्टअप्स को एकमुश्त 5 लाख रुपये तक की सहायता मिलती है। सीड स्टेज स्टार्टअप्स को चयन समिति की अनुशंसा पर अधिकतम 25 लाख रुपये, दो किस्तों में प्रदान किए जाते हैं। हर केपी 20–25 और हर R-ABI एक वित्तीय वर्ष में 10–12 स्टार्टअप्स का चयन कर सकते हैं। स्टार्टअप्स को प्रशिक्षण, तकनीकी मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता दी जाती है, ताकि वे अपने उत्पादों और सेवाओं को बाजार में लॉन्च कर सकें और व्यवसाय को बढ़ा सकें। अब तक KP और R-ABI मिलकर 6000 से अधिक एग्री-स्टार्टअप्स को प्रशिक्षित कर चुके हैं।
वित्त वर्ष 2019-20 से 2025-26 के बीच 2096 स्टार्टअप्स को तकनीकी व वित्तीय सहायता दी गई है, जिनके लिए 168.14 करोड़ रुपये अनुदान के रूप में जारी किए गए हैं। ये स्टार्टअप्स सटीक कृषि, सेंसर आधारित तकनीक, IoT, AI, ड्रोन, कृषि मशीनीकरण, फसलोत्तर प्रबंधन, खाद्य प्रौद्योगिकी, वैल्यू एडिशन, सप्लाई चेन, कृषि इनपुट, अपशिष्ट प्रबंधन, जैविक खेती और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
कृषि मशीनीकरण उप-मिशन (SMAM) के तहत ड्रोन के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार विभिन्न श्रेणियों में सहायता प्रदान कर रही है:
ड्रोन खरीद पर 100% सब्सिडी, अधिकतम 10 लाख रुपये प्रति ड्रोन।
व्यक्तिगत किसानों के लिए:
2014-15 से SMAM को लागू किया जा रहा है, जिसे अब RKVY की केंद्रीय प्रायोजित योजना के तहत संचालित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों तक उच्च तकनीकी कृषि उपकरण पहुँचाना। कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) को बढ़ावा देना। उच्च मूल्य वाले कृषि उपकरणों का प्रसार। प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के माध्यम से जागरूकता बढ़ाना। सरकार ने मध्य प्रदेश के बुदनी, हरियाणा के हिसार, आंध्र प्रदेश के गारलाडिने और असम के बिश्वनाथ चरियाली में चार नवीनतम तकनीकों वाले फार्म मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान स्थापित किए हैं।
सरकार ने महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को 15,000 ड्रोन उपलब्ध करवाने हेतु वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक के लिए 1261 करोड़ रुपये की केंद्रीय क्षेत्र योजना ‘नमो ड्रोन दीदी’ को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य कृषि में उन्नत तकनीक का उपयोग, फसल उत्पादन बढ़ाना, लागत कम करना, SHG महिलाओं को ड्रोन सेवा प्रदाता के रूप में सशक्त बनाना। 2023-24 में अग्रणी उर्वरक कंपनियों ने 1094 ड्रोन, जिनमें से 500 ड्रोन नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत, SHG महिलाओं को उपलब्ध कराए हैं।
सूक्ष्म सिंचाई ‘प्रति बूंद अधिक फसल’:
वर्ष 2015-16 से PMKSY के तहत ‘प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC)’ योजना लागू है।
यह ड्रिप और स्प्रिंकलर आधारित सिंचाई के माध्यम से जल दक्षता बढ़ाने पर केंद्रित है। छोटे और सीमांत किसानों को 55% सब्सिडी, अन्य किसानों को 45% सब्सिडी, इससे पानी, उर्वरक और श्रम लागत की बचत होती है और फसल उत्पादन बढ़ता है।
PMFBY में डिजिटल नवाचार:
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में तकनीक के उपयोग को बढ़ाया गया है:
डिजिटल कृषि मिशन (AgriStack):
सरकार ने डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी है, जिसके तहत:
यह किसानों तक समय पर फसल संबंधी विश्वसनीय जानकारी पहुंचाएगा और कृषि में डिजिटल नवाचार को बढ़ावा देगा।
AgriStack में तीन महत्वपूर्ण डेटाबेस शामिल हैं:
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को इस DPI के कार्यान्वयन हेतु तकनीकी और वित्तीय सहायता दी जा रही है।
MNFCFC की भूमिका:
महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (MNCFC) कृषि में सैटेलाइट, भू-स्थानिक और मौसम आधारित तकनीकों का उपयोग करते हुए महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है:
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