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शिवराज सिंह चौहान ने पूसा में 'प्लांट जीनोम सेवियर अवॉर्ड' दिए, जानें, किन किसानों को मिला यह बड़ा सम्मान और क्यों?

प्लांट जीनोम सेवियर अवॉर्ड 2025
प्लांट जीनोम सेवियर अवॉर्ड 2025

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली स्थित पूसा कैंपस के सी. सुब्रमण्यम हॉल में आयोजित समारोह में ‘प्लांट जीनोम सेवियर अवॉर्ड’ प्रदान किए। यह आयोजन पौध किस्में और कृषक अधिकार संरक्षण (PPV&FRA) अधिनियम, 2001 की रजत जयंती और प्राधिकरण के 21वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया। इस अवसर पर देशभर से आए चयनित किसानों और समुदायों को पारंपरिक बीजों के संरक्षण और जैव-विविधता में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

सम्मानित होने वालों में तेलंगाना का कम्युनिटी सीड बैंक, पश्चिम बंगाल के पुरबा बर्धमान का शिक्षण निकेतन, मिथिलांचल मखाना उत्पादक संघ, असम की CRS-Na Dihing Tenga Unyan समिति, उत्तराखंड के श्री भूपेंद्र जोशी, केरल के श्री टी. जोसेफ, बिहार के श्री नाकुल सिंह, आदि शामिल रहे। 

“पीपीवी एंड एफआरए अधिनियम ने दुर्लभ होती बीज किस्मों को बचाने में अहम भूमिका निभाई” - कृषि मंत्री:

अपने संबोधन में श्री चौहान ने कहा कि भारत की कृषि परंपरा दुनिया की सबसे प्राचीन परंपराओं में से एक है और यही हमारी सभ्यता की आधारशिला है। कई स्वदेशी किस्में पोषण और पारिस्थितिक संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन समय के साथ इनमें से कई लुप्त होने लगी थीं।

“किसानों की मेहनत और समर्पण की वजह से ये पारंपरिक किस्में आज भी सुरक्षित हैं।”

उन्होंने बताया कि पीपीवी एंड एफआरए अधिनियम के तहत बीज किस्मों के संरक्षण के लिए किसानों को 15 लाख रुपये तक का वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाता है।
श्री चौहान ने कहा “बीज किसान की सबसे बड़ी पूंजी है। नई किस्में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन पारंपरिक बीजों का संरक्षण भी उतना ही आवश्यक है। दोनों के बीच संतुलन जरूरी है।”

अधिनियम में सुधार की तैयारी, किसानों में जागरूकता बढ़ाने पर जोर:

केंद्रीय मंत्री ने स्वीकार किया कि पीपीवी एंड एफआरए अधिनियम के बारे में किसानों में जागरूकता अभी भी सीमित है। उन्होंने कहा कि पंजीकरण प्रक्रिया में कई जटिलताएँ हैं, जिन्हें सरल बनाया जाना चाहिए।
“हमें पारदर्शिता बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि लाभ सीधे जमीनी स्तर पर किसानों तक पहुंचे।”
उन्होंने संकेत दिया कि विभिन्न हितधारकों के सुझावों के आधार पर अधिनियम में संशोधन किए जाएंगे।

स्वदेशी फसलों की वैज्ञानिक डाटाबेस की आवश्यकता:

श्री चौहान ने पीपीवी एंड एफआरए और अन्य संबंधित कानूनों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा— “जो किसान हमारी पारंपरिक किस्मों और जैव-विविधता को बचाते हैं, वे हमारे कृषि धरोहर के वास्तविक संरक्षक हैं। उन्हें सम्मान, समर्थन और सशक्तिकरण मिलना चाहिए।”

जैविक संरक्षण और पारंपरिक फसलों के महत्व पर मंत्रीगण का जोर:

कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि किसानों द्वारा अपनाई गई प्राकृतिक एवं जैविक विधियाँ पौध किस्मों को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि पीपीवी एंड एफआरए ने इस दिशा में एक मजबूत संस्थागत ढांचा प्रदान किया है, जिससे संरक्षण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।
कृषि राज्य मंत्री श्री रमनाथ ठाकुर ने मंडुआ (फिंगर मिलेट) जैसी पारंपरिक फसलों के बीज संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई और कई स्वदेशी प्रजातियों के औषधीय महत्व को रेखांकित किया।

कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी और देशभर से आए किसान शामिल:

समारोह में कृषि मंत्री के साथ, कृषि राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी, कृषि राज्य मंत्री श्री रमनाथ ठाकुर, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. मंगी लाल जाट, संयुक्त सचिव श्री अजित कुमार साहू, पीपीवी एंड एफआरए के चेयरपर्सन डॉ. त्रिलोचन महापात्र और रजिस्ट्रार जनरल डॉ. डी.के. अग्रवाल सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

पृष्ठभूमि: क्या है PPV&FRA?

पौध किस्में और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA), कृषि मंत्रालय के अंतर्गत 2001 के अधिनियम पर आधारित एक सांविधिक संस्था है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

इसके मुख्य उद्देश्य हैं:

  • नई पौध किस्में विकसित करने वाले पादप प्रजनकों को बौद्धिक संपदा अधिकार प्रदान करना
  • पारंपरिक किस्मों और जैव-विविधता संरक्षित करने वाले किसानों और समुदायों को सम्मानित करना
  • किसानों के अधिकारों बीज को सहेजने, बोने, पुनः बोने, आदान-प्रदान और बेचने का संरक्षण
  • पौध प्रजनन और कृषि नवाचार को बढ़ावा देना
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