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खेतों में एआई की एंट्री, आसमान से ड्रोन की मदद: खेती का नया दौर शुरू

कृषि में AI और ड्रोन तकनीक
कृषि में AI और ड्रोन तकनीक

केंद्र सरकार कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आजीविका सुदृढ़ करने के उद्देश्य से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और ड्रोन प्रौद्योगिकी को तेजी से प्रोत्साहित कर रही है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विभिन्न योजनाओं एवं पहलों के माध्यम से आधुनिक तकनीकों को कृषि क्षेत्र से जोड़ रहा है। इनमें सटीक खेती (प्रिसिजन फार्मिंग), ड्रोन तकनीक, जलवायु-स्मार्ट कृषि और एआई आधारित समाधान शामिल हैं।
इन उन्नत तकनीकों का उपयोग फसल उत्पादकता, टिकाऊ कृषि पद्धतियों और किसानों की आय में सुधार के साथ-साथ कृषि क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों के समाधान के लिए किया जा रहा है।

‘किसान ई-मित्र’ से मिल रही डिजिटल सहायता:

‘किसान ई-मित्र’ एक आवाज़ आधारित एआई-संचालित चैटबॉट है, जिसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड से जुड़े सवालों के समाधान के लिए विकसित किया गया है। यह सुविधा 11 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है और प्रतिदिन 8,000 से अधिक किसानों के प्रश्नों का उत्तर देती है। अब तक इसके माध्यम से 93 लाख से अधिक प्रश्नों का समाधान किया जा चुका है।

एआई आधारित कीट निगरानी से फसल सुरक्षा:

जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते कीट प्रकोप से निपटने के लिए राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली विकसित की गई है। यह प्रणाली एआई और मशीन लर्निंग की मदद से फसलों में कीटों की पहचान कर समय पर नियंत्रण में सहायक है। वर्तमान में 10,000 से अधिक कृषि कार्यकर्ता इस प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं। किसान कीटों की तस्वीर अपलोड कर समय रहते उपचार कर सकते हैं। यह प्रणाली फिलहाल 66 फसलों और 432 से अधिक कीटों को कवर करती है।

मानसून पूर्वानुमान से बदले बुवाई के फैसले:

भारत मौसम विज्ञान विभाग और डेवलपमेंट इनोवेशन लैब के सहयोग से खरीफ 2025 के लिए 13 राज्यों में स्थानीय मानसून आगमन का एआई-आधारित पायलट पूर्वानुमान जारी किया गया। यह जानकारी एम-किसान पोर्टल के माध्यम से 3.88 करोड़ से अधिक किसानों को पाँच क्षेत्रीय भाषाओं में एसएमएस द्वारा भेजी गई।
मध्य प्रदेश और बिहार में किए गए फीडबैक सर्वे से पता चला कि 31 से 52 प्रतिशत किसानों ने भूमि तैयारी और बुवाई के समय में बदलाव कर अपने कृषि निर्णयों को बेहतर बनाया।

ड्रोन पर सब्सिडी और कस्टम हायरिंग सेंटर:

कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (SMAM) के तहत लघु, सीमांत और महिला किसानों को ड्रोन खरीद पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी (अधिकतम ₹5 लाख) दी जा रही है। इसके साथ ही कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे किसान ड्रोन और आधुनिक कृषि उपकरण किराए पर ले सकें। वर्ष 2023-24 से 2025-26 (30 नवंबर 2025 तक) के दौरान 2,122 ड्रोन किसानों और सीएचसी को वितरित करने की स्वीकृति दी गई है।

‘नमो ड्रोन दीदी’ से महिलाओं को नई पहचान:

महिला स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना को मंजूरी दी है। वर्ष 2023-24 में प्रमुख उर्वरक कंपनियों ने 1,094 ड्रोन एसएचजी को वितरित किए, जिनमें से 500 ड्रोन इस योजना के अंतर्गत दिए गए। बेंगलुरु स्थित एडीआरटीसी के अध्ययन में पाया गया कि ड्रोन तकनीक अपनाने से महिला समूहों की कार्यक्षमता, उत्पादकता और आय के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

ड्रोन प्रसार में ICAR की अहम भूमिका:

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थान ड्रोन तकनीक के विस्तार में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। वर्ष 2023-24 से 2025-26 (30 नवंबर 2025 तक) के दौरान 41,010 हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों के खेतों पर ड्रोन प्रदर्शन आयोजित किए गए, जिससे 4.52 लाख से अधिक किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिला। कुल मिलाकर, एआई और ड्रोन तकनीक के व्यापक उपयोग से कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिला है, फसल प्रबंधन में सुधार हुआ है और ग्रामीण भारत में किसानों तथा महिलाओं के लिए नए आय अवसर सृजित हुए हैं।

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