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Mustard farming: सरसों की फसल में बढ़ रही बीमारियाँ और कीटों की समस्या, विशेषज्ञों ने बताए बचाव के उपाय

सरसों की खेती में रोग और कीट
सरसों की खेती में रोग और कीट

देश के कई राज्यों में सरसों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। रबी मौसम की यह प्रमुख तिलहनी फसल किसानों के लिए अच्छी आमदनी का स्रोत मानी जाती है। लेकिन इस बार कई क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम और देरी से बोवाई के कारण फसल में रोग और कीट का दबाव बढ़ने की आशंका है। इसी वजह से चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने किसानों के लिए विस्तृत सलाह जारी की है।

जड़ गलन रोग का खतरा बढ़ा Increased risk of root rot disease:

विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान मौसम में सरसों की फसल में जड़ गलन रोग (Root Rot) की संभावना अधिक है। इसके लक्षणों में पौधों का मुरझाना, सूखना और जड़ों पर सफेद फफूंद दिखाई देना शामिल है। यह रोग फ्यूजेरियम, राइजोक्टोनिया और स्क्लेरोटियम फफूंद के संक्रमण से होता है। नियंत्रण हेतु कॉर्बेंडाजिम का 0.1% घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। गंभीर स्थिति में 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव किया जा सकता है।

फूलिया रोग के लक्षण और उपाय Symptoms and remedies of phuliya disease:

पत्तियों के नीचे सफेद फफूंद दिखाई देना फूलिया रोग (Downy Mildew) का संकेत है। इस रोग में पत्तियाँ पीली होकर सूखने लगती हैं। नियंत्रण के लिए किसान मैंकोजेब या मेटलैक्सिल + मैंकोजेब मिश्रण का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव कर सकते हैं। यदि फसल में जड़ गलन और पत्ती धब्बा दोनों समस्याएँ हों, तो कॉर्बेंडाजिम 0.1% और मैंकोजेब 0.25% का टैंक मिश्रण प्रभावी रहता है।

चितकबरा कीट पर अनावश्यक दवा का प्रयोग न करें:

प्रारंभिक अवस्था में पेंटेड बग (चितकबरा कीट) दिखाई दे सकता है, जो पत्तियों पर सफेद धब्बे बनाता है। परंतु इस वर्ष कम तापमान के कारण इसकी सक्रियता बहुत कम है। इसलिए विशेषज्ञों ने अनावश्यक कीटनाशक छिड़काव से बचने की सलाह दी है, ताकि लागत बढ़ने और लाभकारी कीटों के नुकसान से बचा जा सके।

सिंचाई में सावधानी बरतें:

लंबे समय तक खेत में पानी भरने से पौधों में मुरझाने की समस्या बढ़ती है। जहाँ मिट्टी में नमी अधिक हो, वहाँ पहली सिंचाई 10 दिन देरी से करें। यदि पहली सिंचाई के बाद पीलापन या मुरझाने के लक्षण दिखें, तो कॉर्बेंडाजिम (1 ग्राम/लीटर) और स्टेप्टोसाइक्लीन (0.3 ग्राम/लीटर) का मिश्रण छिड़कें। इससे पौधों की रिकवरी तेज होती है।

जहाँ अधिक नुकसान हुआ हो वहाँ पुनः बुवाई करें: विश्वविद्यालय के अनुसार जिन खेतों में पौधे अधिक मात्रा में नष्ट हो गए हैं, वहाँ किसान 10 नवंबर तक पुनः बुवाई कर सकते हैं। बीज को बोने से पहले कॉर्बेंडाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना आवश्यक है, जिससे शुरुआती रोगों से सुरक्षा मिलती है।

मौसम के कारण सरसों को विशेष देखभाल की आवश्यकता: इस वर्ष अनिश्चित मौसम और अतिरिक्त नमी के कारण सरसों की फसल संवेदनशील हो गई है। विशेषज्ञों ने किसानों को नियमित निरीक्षण करने और अनावश्यक रासायनिक दवाओं के प्रयोग से बचने की सलाह दी है। यदि किसान विश्वविद्यालय द्वारा जारी इन सुझावों का पालन समय पर करें, तो रोग और कीट के प्रभाव से फसल को काफी हद तक बचाया जा सकता है और उपज सुरक्षित व लाभदायक बनी रह सकती है।

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