मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के युवाओं को रोजगार से जोड़ने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए तेज़ी से प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा घोषित "उद्योग और रोजगार वर्ष" के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) विभाग लगातार सशक्त पहल कर रहा है।
प्रदेश के 18 लाख से अधिक पंजीकृत एमएसएमई इकाइयों ने अब तक 56 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर 94 लाख से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है। वहीं, 5,342 स्टार्टअप, 72 इनक्यूबेटर, और 2,542 महिला स्टार्टअप्स के माध्यम से भी 54 हजार से अधिक लोगों को रोज़गार मिला है।
मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2024-25 में 10,352 युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया। इस प्रयास को और प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने एमएसएमई विकास नीति 2025, स्टार्टअप नीति 2025 और औद्योगिक भूमि आवंटन नियम 2025 लागू किए हैं। स्टार्टअप नीति का लक्ष्य 10,000 डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को समर्थन देना है।
हाल ही में रतलाम में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री, स्किल एंड एम्प्लॉयमेंट कॉन्क्लेव में वर्ष 2025-26 के तहत अब तक 2.37 लाख लाभार्थियों को 2,400 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण वितरित किया गया। वहीं, विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं के तहत 4 लाख से अधिक हितग्राहियों को 3,861 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान किया गया है। इसके अलावा 880 एमएसएमई इकाइयों को 269 करोड़ रुपये की सहायता दी गई।
सफलता की मिसाल बन रहे नव उद्यमी:
रवि पाठक (गांव गिरवारा, पन्ना) ने अर्चना राइस मिल की शुरुआत 133.83 लाख रुपये के निवेश से की, जिसमें उन्हें 53.53 लाख रुपये की सब्सिडी मिली। आज उनका व्यवसाय सफल है और उन्होंने 7 अन्य लोगों को रोजगार भी दिया है। प्रदेश सरकार के यह ठोस प्रयास केवल रोजगार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मज़बूत कदम भी हैं। युवा, महिलाएं और स्व-सहायता समूह अब अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा दे रहे हैं।
ये भी पढें- मध्यप्रदेश की मुख्य मंडियों में जून 2024 और जून 2025 के दौरान जाने क्या रहे लहसुन के भाव