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Moringa Farming: सहजन की खेती दे सकती है बंपर मुनाफा, राष्ट्रीय बीज निगम से ऑनलाइन खरीदें उन्नत बीज

सहजन की खेती
सहजन की खेती

शहरों में सहजन (मोरिंगा/ड्रमस्टिक) की तेजी से बढ़ती मांग ने इसे किसानों के लिए मुनाफे वाली फसल बना दिया है। इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) किसानों को सहजन के उन्नत बीज ऑनलाइन उपलब्ध करा रहा है, जिसे ONDC के डिजिटल स्टोर के माध्यम से आसानी से खरीदा जा सकता है।

क्यों खास है सहजन की खेती Why is drumstick cultivation special?

सहजन एक अत्यधिक पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर सब्जी है, जिसकी खेती:

  • कम लागत में अधिक मुनाफा देती है
  • बंजर और कम उपजाऊ भूमि में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है
  • कम सिंचाई और देखभाल में भी अच्छी पैदावार देती है
  • बाजार में इसकी सालभर मांग बनी रहती है
  • स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण शहरों में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे किसानों को बेहतर कीमत और स्थिर आय का अवसर मिल रहा है।

कहाँ और कैसे खरीदें सहजन के बीज?

  • राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) सहजन के बीज ऑनलाइन उपलब्ध करा रहा है
  • किसान इसे ONDC प्लेटफॉर्म से ऑर्डर कर सकते हैं
  • यहां सहजन के अलावा अन्य फसलों के बीज और पौधे भी उपलब्ध हैं
  • बीज की होम डिलीवरी की सुविधा भी दी जा रही है

“फार्म सोना” किस्म की प्रमुख विशेषताएं:

राष्ट्रीय बीज निगम द्वारा उपलब्ध “फार्म सोना” सहजन की एक उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है, जिसकी खासियतें हैं:

  1. फली का स्वाद अन्य किस्मों की तुलना में अधिक बेहतर
  2. एक बार लगाने पर 4 साल तक लगातार उपज
  3. 90–100 दिन में फूल आना शुरू
  4. फली की लंबाई 45 से 75 सेंटीमीटर तक
  5. साल में 4 बार तक उत्पादन संभव

कीमत:

  • 10 ग्राम का पैकेट 15% छूट के साथ मात्र ₹34 में उपलब्ध
  • इसे NSC की आधिकारिक वेबसाइट से खरीदा जा सकता है

जानें पौधरोपण का सही तरीका:

सहजन की खेती के लिए भूमि की तैयारी और रोपाई प्रक्रिया:

  1. खेत को खरपतवार से पूरी तरह साफ करें
  2. 2.5 × 2.5 मीटर की दूरी पर 45×45×45 सेमी आकार के गड्ढे तैयार करें
  3. ऊपरी मिट्टी में 10–15 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर गड्ढे भर दें

इसके बाद बीज या पहले से तैयार पौधों की रोपाई करें: सहजन का पौधा तेजी से बढ़ता है, लेकिन इसमें भुआ कीट (हेयरी कैटरपिलर) लगने का खतरा रहता है, जिसके लिए समय-समय पर निगरानी और जैविक/उचित कीटनाशक का उपयोग जरूरी है।

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