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हाई अलर्ट! गायों में फिर फैला लम्पी रोग: लक्षण पहचानें और बचाव के 5 ज़रूरी उपाय

लम्पी स्किन डिजीज (LSD)
लम्पी स्किन डिजीज (LSD)

राज्य के विभिन्न जिलों में लम्पी स्किन डिजीज (LSD) का संक्रमण एक बार फिर तेजी से फैलने लगा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पशुपालन विभाग ने सभी जिलों में हाई अलर्ट जारी किया है और संक्रमित पशुओं की निरंतर निगरानी के निर्देश दिए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार दूधारू पशुओं में संक्रमण से बचाव और शुरुआती लक्षण पहचानना बेहद जरूरी है, ताकि बीमारी को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।

इन जिलों में सामने आए नए मामले New cases surfaced in these districts:

मध्यप्रदेश के झाबुआ, रतलाम, बैतूल, बड़वानी, सिवनी, सागर और भोपाल सहित कई जिलों में लम्पी के नए केस दर्ज किए जा चुके हैं। राज्य संचालक पशुपालन एवं डेयरी, डॉ. पी.एस. पटेल ने बताया कि पशुओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबंधात्मक टीकाकरण (Preventive Vaccination) सबसे प्रभावी उपाय है। उन्होंने पशुपालकों से अपील की कि यदि किसी पशु में संदिग्ध लक्षण दिखें तो तत्काल नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र से संपर्क करें और उपचार शुरू कराएं।
संक्रमित पशु को अलग रखें, स्वच्छता पर दें विशेष ध्यान

पशुपालन विभाग ने निर्देश दिए हैं कि:

  • संक्रमित पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग रखा जाए
  • पशुशाला और आसपास के क्षेत्र को साफ रखा जाए
  • मच्छर, मक्खी और किलनी (टिक) जैसे वाहक परजीवियों के नियंत्रण के लिए नियमित दवा का छिड़काव किया जाए

डॉ. पटेल के मुताबिक, ये परजीवी ही रोग फैलने के मुख्य कारण हैं, इसलिए इन पर नियंत्रण बेहद जरूरी है।

सरकार द्वारा मुफ्त टीकाकरण अभियान जारी Free vaccination drive continues by the government:

राज्य सरकार लम्पी संक्रमण की रोकथाम के लिए नि:शुल्क टीकाकरण अभियान चला रही है।

विभाग के अनुसार:

  • अप्रैल 2025 से अब तक 41.5 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है
  • टीकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है
  • पशुपालकों को रोग निदान और टीकाकरण की मुफ्त सलाह भी दी जा रही है

क्या है लम्पी स्किन डिजीज What is lumpy skin disease?

लम्पी एक वायरस जनित संक्रामक रोग है, जो मुख्य रूप से गाय और भैंस जैसे गोवंशीय पशुओं में फैलता है। यह संक्रमण विशेष रूप से:

  • बरसात और नमी वाले मौसम में तेजी से फैलता है
  • मच्छर, मक्खी, किलनी (टिक) के जरिए एक पशु से दूसरे में फैलता है

प्रमुख लक्षण:

  • हल्का बुखार
  • त्वचा पर गांठ (लम्प्स)
  • दूध उत्पादन में कमी
  • मुंह-गले में सूजन
  • गर्भपात या बांझपन
  • गंभीर स्थिति में पशु की मृत्यु

हालांकि अधिकांश पशु 2–3 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, लेकिन दूध उत्पादन में गिरावट लंबे समय तक बनी रह सकती है।

लक्षण दिखें तो तुरंत अपनाएं ये बचाव उपाय:

  • संक्रमित पशु को तुरंत अलग करें
  • मक्खी-मच्छर से बचाव के उपाय करें
  • घावों पर एंटीसेप्टिक दवा लगाएं
  • पशुशाला की रोज सफाई करें
  • पशु चिकित्सक से संपर्क कर तुरंत टीकाकरण कराएं

राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम सक्रिय: रोग की निगरानी और सहायता के लिए भोपाल में राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। सहायता हेल्पलाइन: 0755–2767583

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