राज्य के विभिन्न जिलों में लम्पी स्किन डिजीज (LSD) का संक्रमण एक बार फिर तेजी से फैलने लगा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पशुपालन विभाग ने सभी जिलों में हाई अलर्ट जारी किया है और संक्रमित पशुओं की निरंतर निगरानी के निर्देश दिए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार दूधारू पशुओं में संक्रमण से बचाव और शुरुआती लक्षण पहचानना बेहद जरूरी है, ताकि बीमारी को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।
मध्यप्रदेश के झाबुआ, रतलाम, बैतूल, बड़वानी, सिवनी, सागर और भोपाल सहित कई जिलों में लम्पी के नए केस दर्ज किए जा चुके हैं। राज्य संचालक पशुपालन एवं डेयरी, डॉ. पी.एस. पटेल ने बताया कि पशुओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबंधात्मक टीकाकरण (Preventive Vaccination) सबसे प्रभावी उपाय है। उन्होंने पशुपालकों से अपील की कि यदि किसी पशु में संदिग्ध लक्षण दिखें तो तत्काल नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र से संपर्क करें और उपचार शुरू कराएं।
संक्रमित पशु को अलग रखें, स्वच्छता पर दें विशेष ध्यान
पशुपालन विभाग ने निर्देश दिए हैं कि:
डॉ. पटेल के मुताबिक, ये परजीवी ही रोग फैलने के मुख्य कारण हैं, इसलिए इन पर नियंत्रण बेहद जरूरी है।
राज्य सरकार लम्पी संक्रमण की रोकथाम के लिए नि:शुल्क टीकाकरण अभियान चला रही है।
विभाग के अनुसार:
लम्पी एक वायरस जनित संक्रामक रोग है, जो मुख्य रूप से गाय और भैंस जैसे गोवंशीय पशुओं में फैलता है। यह संक्रमण विशेष रूप से:
प्रमुख लक्षण:
हालांकि अधिकांश पशु 2–3 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, लेकिन दूध उत्पादन में गिरावट लंबे समय तक बनी रह सकती है।
लक्षण दिखें तो तुरंत अपनाएं ये बचाव उपाय:
राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम सक्रिय: रोग की निगरानी और सहायता के लिए भोपाल में राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। सहायता हेल्पलाइन: 0755–2767583