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Jeera ka rate: गुजरात में जीरे के दामों में भारी गिरावट (25 जुलाई, 2025), पोरबंदर में ₹1400 तक टूटा भाव

जीरा
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अगर आप जीरा उगाने वाले किसान हैं या इस मसाले के थोक व्यापार से जुड़े हैं, तो 25 जुलाई 2025 की टुडे मंडी भाव रिपोर्ट जरूर पढ़ें क्योंकि गुजरात की मंडियों में जीरे के लेटेस्ट मंडी प्राइस में भारी गिरावट दर्ज की गई है। पोरबंदर, मोरबी, ध्रांगध्रा और जामनगर जैसे प्रमुख केंद्रों में जीरे के रेट ₹500 से लेकर ₹1400 प्रति क्विंटल तक टूट गए हैं, जिससे किसानों की चिंता बढ़ना लाजिमी है। बाजार में इस गिरावट के पीछे निर्यात मांग में सुस्ती, भारी स्टॉक और खरीदारों की कमजोर भागीदारी जैसे कारण बताए जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है क्या अभी जीरा बेचना समझदारी होगी या कुछ दिन रुकना ज़्यादा फायदेमंद रहेगा? इस रिपोर्ट में जानिए मंडीवार ताजा मंडी भाव, गिरावट के पीछे की असली वजहें और वो जरूरी सलाह जो आपकी फसल को घाटे से बचा सकती है।

मंडीवार जीरे के रेट 19 जुलाई से 25 जुलाई 2025 तक Jeera bhav  19 July to 25 July 2025:

मंडी का नाम वैरायटी 19 जुलाई (₹/क्विंटल) 25 जुलाई (₹/क्विंटल) जीरा की कीमत में गिरावट  (₹)
ध्रांगध्रा जीरा ₹ 17,500 ₹ 17,000 ₹500
पोरबंदर जीरा ₹ 17,500 ₹ 16,060 ₹1440
दसादा पटड़ी जीरा ₹ 18,260 ₹ 18,200 ₹60
मोरबी जीरा ₹ 17,450 ₹ 16,900  ₹550
बोटाद अन्य ₹ 15,300 ₹ 15,100  ₹200
हलवद अन्य ₹ 17,800 ₹ 17,750  ₹50
जामनगर अन्य ₹ 16,125 ₹ 15,625  ₹500
सामी जीरा ₹ 17,500 ₹ 17,250  ₹250
उंझा जीरा ₹ 18,625 ₹ 18,500  ₹125
जसदान जीरा ₹ 17,750 ₹ 17,500  ₹250
बाबरा अन्य ₹ 16,050 ₹ 16,010  ₹40

जीरे की कीमतों में गिरावट की बड़ी वजहें:

  • मानसून का असर: बारिश की वजह से मंडी गतिविधियां धीमी हैं, जिससे लेनदेन में बाधा आ रही है।
  • क्वालिटी में भिन्नता: कुछ मंडियों में लूज़ और हल्की क्वालिटी का जीरा अधिक मात्रा में आया, जिससे रेट पर असर पड़ा।
  • स्थानीय मंडियों में स्टॉक भराव: कई व्यापारियों के पास पुराना माल पड़ा हुआ है, जिससे नए माल की खरीदारी में रुचि कम हो गई है।

किसानों के लिए सलाह, नुकसान से कैसे बचें?

  • जिन किसानों के पास उच्च गुणवत्ता (बोल्ड/क्लीन) जीरा है, वे अभी भी अच्छी कीमत पाने के लिए उंझा , जसदान या दसादा पटड़ी मंडियों का रुख कर सकते हैं।
  • जिन क्षेत्रों में भाव ₹16000 से नीचे पहुंच गए हैं, वहां यदि भंडारण की सुविधा हो तो कुछ हफ्ते माल रोकने का विकल्प सही रहेगा।
  • भविष्य में भाव बढ़ने की संभावना बनी हुई है, खासकर अगस्त के मध्य से त्योहारी सीजन की शुरुआत के साथ।

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