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गन्ना किसानों की बल्ले-बल्ले! ICAR ने किसानों के लिए विकसित की नई गन्ना रोपाई मशीन, जो समय और लागत दोनों घटाएगी

गन्ना रोपाई मशीन
गन्ना रोपाई मशीन

किसानों के लिए राहत की बड़ी खबर है। अब गन्ना रोपाई का काम तेज़, आसान और किफायती होने जा रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने गन्ना खेती को आधुनिक बनाने के लिए एक नई तकनीक विकसित की है, जो किसानों का समय, श्रम और उत्पादन लागत तीनों को कम करती है। ICAR-शुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट और ICAR-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, कोयंबटूर की संयुक्त पहल से “मिनी ट्रैक्टर ऑपरेटेड शुगरकेन सेटलिंग ट्रांसप्लांटर” तैयार किया गया है। यह मशीन विशेष रूप से छोटे और मध्यम किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।

क्यों खास है यह गन्ना ट्रांसप्लांटर मशीन Why is this sugarcane transplanter machine special?

यह तकनीक खेती को अधिक सटीक, वैज्ञानिक और कम लागत वाली बनाने में मदद करती है। इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  1. रोपाई का समय 50% तक कम
  2. 73% तक श्रमिक लागत में कमी
  3. लाइन से लाइन और पौधे से पौधे की दूरी में उच्च सटीकता
  4. बीज, पानी और उर्वरक की कम खपत
  5. समान रोपाई से बेहतर विकास और अधिक उपज

विशेषज्ञों का मानना है कि जिन क्षेत्रों में मजदूरों की कमी और श्रम लागत अधिक है, वहां यह मशीन किसानों के लिए बेहद मददगार साबित होगी।

कैसे काम करती है यह मशीन?

यह स्मार्ट ट्रांसप्लांटर मिनी ट्रैक्टर से जुड़कर खेत में पहले से तैयार गन्ना सेटल्स (छोटे पौधे/क्लोनिंग कटिंग्स) को सटीक गहराई और समान दूरी पर लगाता है। मशीन मिट्टी की प्रकृति के अनुसार रोपाई की गहराई को भी नियंत्रित करती है, जिससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और फसल का विकास बेहतर होता है। यह तकनीक फसल प्रबंधन को भी आसान बनाती है, क्योंकि समान दूरी पर रोपे गए पौधों में सिंचाई अधिक प्रभावी होती है, खाद और उर्वरक का वितरण संतुलित रहता है, निराई-गुड़ाई और कटाई का काम आसान हो जाता है।

किसानों को मिलने वाले प्रमुख लाभ:

कम लागत, अधिक मुनाफा — बीज और श्रम पर खर्च कम होने से बचत बढ़ेगी
बेहतर गुणवत्ता वाली फसल — समान रोपाई से पौधों की वृद्धि एक समान
कम पानी की आवश्यकता — सिंचाई में सुधार, पानी की बर्बादी कम
समय पर रोपाई — जिससे अगली फसल की तैयारी भी समय पर हो सके

पारंपरिक मशीनों से कैसे अलग है यह तकनीक?

बाज़ार में मौजूद पुरानी मशीनों से प्रति हेक्टेयर लगभग 8–10 टन बीज की आवश्यकता पड़ती है, जिसमें कुल लागत का 20% केवल बीज में खर्च हो जाता है। वहीं, ICAR की यह नई मशीन बीज की खपत को काफी कम कर देती है, जिससे किसानों के खर्च में बड़ी बचत संभव होती है।

किन राज्यों के किसानों को मिलेगा सबसे अधिक लाभ?

यह तकनीक खासतौर पर उन राज्यों के लिए फायदेमंद होगी, जहां गन्ना मुख्य फसल है: उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक इन क्षेत्रों में मजदूरों की कमी और बढ़ती मजदूरी बड़ी समस्या रही है, जिसे यह मशीन काफी हद तक हल कर सकती है।

गन्ना खेती में बदलाव का नया अध्याय: ICAR द्वारा विकसित यह मिनी ट्रैक्टर शुगरकेन ट्रांसप्लांटर गन्ना रोपाई के पारंपरिक तरीकों को बदलने की क्षमता रखता है। यह मशीन बड चिप्स व सिंगल बड से तैयार पौधों की रोपाई करती है, जो आधुनिक और वैज्ञानिक खेती की दिशा में बड़ा कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक गन्ना उत्पादन की गुणवत्ता सुधारेगी, किसानों की आय बढ़ाएगी, खेती की लागत घटाएगी और पूरे गन्ना उद्योग को नई मजबूती देगी।

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