खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ ही किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग ने किसानों को उन्नत खेती के लिए जरूरी तकनीकी सुझाव जारी किए हैं। इन सुझावों में मिट्टी की तैयारी, बीज चयन, सिंचाई प्रबंधन, खाद और उर्वरक का संतुलित प्रयोग, खरपतवार नियंत्रण, कीट एवं रोग प्रबंधन और फसल विविधीकरण प्रमुख बिंदु हैं।
किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने क्षेत्र की मिट्टी की प्रकृति, जलवायु और सिंचाई सुविधा को ध्यान में रखते हुए फसल का चयन करें। जैविक खाद का अधिक से अधिक उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। साथ ही, उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करें, जिनकी अंकुरण क्षमता अच्छी हो।
स्मार्ट तकनीकों से बढ़ाएं उत्पादन: विभाग ने दलहनी और तिलहनी फसलों की बुआई के लिए मेड-नाली पद्धति या ब्रॉडबेड फरो पद्धति अपनाने की सलाह दी है, जिससे फसलें जलभराव और सूखे की स्थिति में भी सुरक्षित रहती हैं। मिट्टी की नमी को जांचते हुए ही सिंचाई करें और मौसम के अनुसार फसल प्रबंधन करें।
किसानों को सुझाव दिया गया है कि खाद एवं उर्वरक का प्रयोग संतुलित मात्रा में करें। निराई-गुड़ाई करके खरपतवार नियंत्रण करें और जरूरत पड़ने पर रासायनिक खरपतवार नाशकों का निर्देशानुसार प्रयोग करें। कीट एवं रोगों की पहचान कर उचित कीटनाशक एवं फफूंदनाशक का प्रयोग करें, लेकिन पूरी सावधानी और निर्देशों के अनुसार।
फसल विविधीकरण से बढ़ेगा मुनाफा: कृषि विभाग ने किसानों को एक ही फसल पर निर्भर रहने के बजाय फसल विविधीकरण करने का सुझाव दिया है, जिससे जोखिम कम होगा और मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहेगी। खरीफ मौसम में धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, उड़द और मूंग जैसी फसलें उपयुक्त मानी जाती हैं, जिनका चयन स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया जा सकता है।
मौसम पूर्वानुमान और विशेषज्ञों की सलाह है जरूरी: किसानों से आग्रह किया गया है कि वे मौसम पूर्वानुमान पर नजर रखें और उसी के अनुसार खेती की योजना बनाएं। साथ ही, समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से सलाह लेकर आधुनिक तकनीकों को अपनाएं। अपने अनुभव और अन्य सफल किसानों से सीखना भी खेती को लाभकारी बना सकता है।