कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज मुंबई में एशियन सीड कांग्रेस 2025 का औपचारिक उद्घाटन किया। इस अवसर पर कांग्रेस का आधिकारिक लोगो भी जारी किया गया। इस वर्ष का थीम है — “उत्कृष्ट बीजों के माध्यम से समृद्धि की बुवाई”।
उद्घाटन भाषण में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य देश की खाद्य सुरक्षा, नागरिकों को पौष्टिक भोजन, और किसानों के लिए खेती को लाभकारी बनाए रखना है। उन्होंने बताया कि सरकार प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने, किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने और उत्पादन लागत घटाने पर विशेष ध्यान दे रही है। साथ ही, किसानों को उचित मूल्य दिलाने, आवश्यकता पड़ने पर उनके नुकसान की भरपाई करने और खेती में विविधता को बढ़ावा देने की दिशा में भी निरंतर कार्य किया जा रहा है।
श्री चौहान ने कहा कि आईसीएआर और विभिन्न राज्य संस्थान बायो-फोर्टिफाइड एवं जलवायु-प्रतिरोधी किस्में विकसित करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं ताकि देश में कुपोषण की गंभीर चुनौती का समाधान हो सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों द्वारा बनाए गए कई बीज महंगे होते हैं, जिन्हें गरीब किसान खरीद नहीं पाते। इसलिए उन्होंने निजी कंपनियों से बीजों को अधिक सुलभ मूल्य पर उपलब्ध कराने की अपील की।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि किसानों को ऐसे बीज उपलब्ध कराए जाएँ जिन्हें हर वर्ष बदलने की आवश्यकता न हो, तो उनकी एक बड़ी चिंता दूर हो सकती है। साथ ही, उन्होंने कंपनियों को चेतावनी दी कि अंकुरण क्षमता कम या खराब गुणवत्ता वाले बीज बेचने वाले व्यक्तियों या संस्थानों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने कृषि क्षेत्र से जुड़े सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे कृषि मंत्रालय द्वारा विकसित ‘SATHI Portal’ पर लॉग-इन कर इसकी सुविधाओं का लाभ उठाएँ।
उन्होंने बताया कि 15 अलग-अलग एग्रो-क्लाइमेटिक जोन वाले भारत के लिए सूखा, गर्मी और कीटों का सामना करने वाली किस्मों का विकास बेहद जरूरी है। मंत्री ने जानकारी दी कि जीनोम एडिटिंग तकनीक से विकसित दो नई धान की किस्में कम पानी में 19 से 40 प्रतिशत अधिक उत्पादन दे सकती हैं तथा कार्बन उत्सर्जन भी कम कर सकती हैं।
मोटे अनाज व नई किस्मों के तेजी से परीक्षण पर जोर: बीज उत्पादक कंपनियों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि मोटे अनाज (कोर्स ग्रेन्स) पर शोध एवं नवाचार बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने निजी कंपनियों से आग्रह किया कि वे अपनी समस्याएँ सरकार के सामने रखें ताकि नई किस्मों को बाजार में लाने में लगने वाले समय को कम किया जा सके। उन्होंने बताया कि वर्तमान में बीज परीक्षण की लागत अधिक है और इस दिशा में सरकार निजी क्षेत्र के साथ मिलकर समाधान निकालने के लिए तैयार है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि बीज गुणवत्ता को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही या अवैध व्यापार में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
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