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Bamboo farming: बाँस की खेती: सरकार दे रही 50% सब्सिडी, ₹80 लाख तक कमाने का मौका!

बांस की खेती
बांस की खेती

देशभर में बांस की खेती तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है, क्योंकि सरकार इसके लिए किसानों को 50% तक सब्सिडी प्रदान कर रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, उचित प्रबंधन के साथ बांस की खेती से किसान 60 से 80 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं। बाजार में बांस की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे यह किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी विकल्प बन रहा है।

क्यों बढ़ रही है बांस की खेती की मांग?

पहले बांस की खेती सीमित क्षेत्रों तक ही सीमित थी, लेकिन अब इसके आर्थिक, पर्यावरणीय और औद्योगिक उपयोगों ने इसे किसानों की पसंदीदा फसल बना दिया है। खासकर पूर्वोत्तर और मध्य भारत में बड़ी संख्या में किसान इसे अपनाकर हर साल लाखों रुपये की आय प्राप्त कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बांस एक लो-कॉस्ट, लो-रिस्क और हाई-रिटर्न फसल है, जो लगभग हर प्रकार की मिट्टी और जलवायु में आसानी से उगाई जा सकती है।

बांस की खेती क्यों है फायदेमंद?

  1. बांस को न ज्यादा खाद की जरूरत होती है, न अधिक सिंचाई की।
  2. यह मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों को सहन कर लेता है।
  3. बंजर या कम उपजाऊ भूमि में भी आसानी से उग जाता है।
  4. 3–5 साल में पूरी तरह तैयार होता है और कई वर्षों तक लगातार पैदावार देता रहता है।
  5. इसकी औद्योगिक मांग अधिक होने के कारण बाजार में अच्छा मूल्य मिलता है।

एक एकड़ में कितनी होती है पैदावार?

एक अनुमान के अनुसार, प्रति एकड़ 15–20 टन बांस की पैदावार होती है। बाजार में इसकी कीमत 3,000 से 5,000 रुपये प्रति टन तक रहती है। यदि कोई किसान 10 एकड़ में बांस का बागान विकसित करता है, तो उसके जीवनकाल में इससे 60 से 80 लाख रुपये तक की कमाई संभव है। पहले 3–4 साल आय कम रहती है, लेकिन पांचवें साल से नियमित कटाई शुरू हो जाती है।

बांस की खेती में कितनी लागत आती है?

प्रति एकड़ 400–500 पौधे लगाए जाते हैं। प्रति पौधा लागत लगभग 50–100 रुपये। खेत की तैयारी, गड्ढे, श्रम, खाद और शुरुआती सिंचाई जोड़कर कुल लागत 60,000 से 95,000 रुपये प्रति एकड़ बैठती है। पहले तीन साल देखभाल की जरूरत होती है, इसके बाद पौधे स्वयं विकसित होते रहते हैं, इसलिए इसे लो-मेंटेनेंस और हाई-रिटर्न फसल माना जाता है।

सरकार से कितनी मिलती है सब्सिडी?

केंद्र सरकार राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) के तहत बांस की खेती को बढ़ावा दे रही है।
इस योजना में किसानों को 50% तक की सब्सिडी, तकनीकी प्रशिक्षण, पौधों की उपलब्धता, मार्केट लिंकिंग, बांस आधारित उद्योगों के लिए सहायता मिलता है। यह योजना विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में काफी सफल रही है।

सब्सिडी के लिए आवेदन कैसे करें?

  1. राष्ट्रीय बांस मिशन की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करें।
  2. खेत और भूमि से संबंधित दस्तावेज अपलोड करें।
  3. पौधारोपण योजना और आवश्यक सब्सिडी के लिए आवेदन जमा करें।
  4. नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या कृषि विभाग से तकनीकी सहायता प्राप्त करें।
  5. कई राज्यों में ब्लॉक स्तर पर शिविर आयोजित किए जाते हैं, जहां किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है।

पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद: बांस दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली घासों में से एक है। यह बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड सोखकर ऑक्सीजन छोड़ता है। साथ ही मिट्टी कटाव रोकता है, बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने में मदद करता है, पेपर, फर्नीचर, अगरबत्ती, निर्माण, क्राफ्ट और बायोफ्यूल उद्योगों में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है।

किसानों के लिए बड़ा अवसर: विशेषज्ञों का मानना है कि जिन किसानों के पास कम उपजाऊ या अनुपयोगी भूमि है, वे बांस की खेती से लंबे समय तक स्थायी आय प्राप्त कर सकते हैं। उचित प्रजाति, वैज्ञानिक तरीके और मार्केट कनेक्टिविटी के साथ बांस की खेती लाखों रुपये का मुनाफा दिला सकती है। आने वाले वर्षों में बांस आधारित उद्योगों की मांग बढ़ने की संभावना है, जिससे यह खेती किसानों के लिए और भी अधिक लाभदायक साबित होगी।

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