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PMFBY: अब फसल पर हाथी, सुअर या नीलगाय का हमला हो तो 72 घंटे में करें यह काम, मिलेगा पैसा

फसल बीमा योजना
फसल बीमा योजना

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने किसानों को एक और बड़ी सौगात देते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के दायरे को और मजबूत किया है। अब जंगली जानवरों के हमले से फसल को होने वाला नुकसान और धान का जलभराव (Paddy Inundation) दोनों को आधिकारिक तौर पर स्थानीय जोखिम (Localised Calamity) के अंतर्गत शामिल कर लिया गया है। नए प्रावधान खरीफ 2026 से लागू होंगे।

जंगली जानवरों के हमले को मिला ‘स्थानीय जोखिम’ का दर्जा:

संशोधित ढांचे के तहत, जंगली जानवरों द्वारा की गई फसल क्षति को पांचवा ऐड-ऑन कवर माना गया है। इसके लिए-

  • राज्य सरकारें ऐसे जंगली जानवरों की सूची जारी करेंगी जो फसल नुकसान के लिए ज़िम्मेदार हैं।
  • ऐतिहासिक डेटा के आधार पर संवेदनशील जिलों या बीमा इकाइयों की पहचान की जाएगी।
  • किसानों को फसल नुकसान की रिपोर्ट 72 घंटे के भीतर क्रॉप इंश्योरेंस ऐप पर जियोग्राफिक टैग की गई तस्वीरों के साथ दर्ज करानी होगी।

यह निर्णय कई राज्यों की वर्षों से चली आ रही मांगों को पूरा करता है और अचानक होने वाली स्थानीय क्षति से किसानों की सुरक्षा को मजबूत करेगा।

धान जलमग्नता (Paddy Inundation) को फिर से शामिल किया गया:

2018 में नैतिक जोखिम (Moral Hazard) और पानी में डूबी फसलों के कठिन आकलन के कारण धान जलमग्नता को स्थानीय आपदा श्रेणी से हटा दिया गया था। लेकिन इससे बाढ़-प्रवण राज्यों के किसानों को बड़ी सुरक्षा कमी का सामना करना पड़ता था। नई व्यवस्था के अनुसार धान जलमग्न होने पर किसान अब फिर से फसल बीमा का लाभ ले सकेंगे। यह विशेष रूप से तटीय और बाढ़-प्रभावित राज्यों के किसानों के लिए राहत लेकर आया है।

जंगली जानवरों और बाढ़ से परेशान किसानों को बड़ी मदद:

देशभर में कई क्षेत्रों विशेषकर जंगलों, वन्यजीव कॉरिडोर और पहाड़ी इलाकों में फसलों को हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण और बंदरों से नुकसान होता रहा है। वहीं तटीय और नदी तटवर्ती राज्यों में भारी बारिश और उफनती नदियों से धान के खेत बार-बार जलमग्न होते हैं।

इन चुनौतियों को देखते हुए कृषि मंत्रालय ने विशेषज्ञ समिति गठित की थी। समिति की सिफारिशों को केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मंजूरी दे दी है। इससे स्थानीय स्तर पर होने वाली फसल क्षति का दावा अब समय पर और तकनीक आधारित प्रक्रिया से निपटाया जा सकेगा।

किन राज्यों को सबसे अधिक लाभ मिलेगा?

मानव–वन्यजीव संघर्ष वाले राज्य: ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड तथा पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्य असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश।

धान जलमग्नता से प्रभावित राज्य: ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तराखंड।

PMFBY बनेगी और अधिक समावेशी व किसान-हितैषी: जंगली जानवरों के हमले और धान जलमग्नता को स्थानीय जोखिम के रूप में शामिल करने से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और अधिक व्यापक, उत्तरदायी और किसान-हितैषी बन जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों से भारत की फसल बीमा प्रणाली की लचीलापन और किसानों की सुरक्षा दोनों मजबूत होंगे।

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