रबी सीजन की प्रमुख तिलहन फसल सरसों इन दिनों कई तरह के कीटों के हमलों से प्रभावित हो रही है। यदि किसान समय रहते सावधानी न बरतें, तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है। दिसम्बर माह में तापमान में गिरावट और सुबह शाम ओस पड़ने के कारण इन कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ जाता है। शीतलहर का असर खेतों पर साफ दिखने लगा है, खासकर सरसों, आलू और अन्य रबी फसलों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए किसानों को विशेष सतर्कता रखने की आवश्यकता है।
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि सरसों में लगने वाले सभी कीटों में लाही कीट (Aphid) सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। यह छोटे आकार की भूरे या काले रंग की होती है और पौधों का रस चूसकर उन्हें कमजोर कर देती है। इसके कारण पत्तियाँ मुरझाने लगती हैं, पौधों की वृद्धि रुक जाती है, फलियों में दाना नहीं बन पाता और कुल उत्पादन पर गंभीर असर पड़ता है।
नियंत्रण उपाय: लाही कीट से बचाव के लिए क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी की 200 मिलीलीटर मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। समय पर स्प्रे करने से फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है।
रबी सीजन की प्रमुख तिलहन फसल सरसों इस समय ठंड, पाले और कोहरे के कारण रोगों के अधिक जोखिम में होती है। कुछ क्षेत्रों में खारे पानी या भूमि में अधिक लवणीयता के कारण भी फसल रोगग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है। यही कारण है कि किसानों के लिए समय पर पहचान और उपचार बेहद जरूरी है।
राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ (रायबरेली) के प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा (बी.एससी. एग्रीकल्चर, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद) बताते हैं कि लगातार गिरता तापमान, कड़ाके की ठंड, पाला, और घना कोहरा
सरसों की फसल के लिए बेहद घातक सिद्ध होते हैं।
ये मौसमीय परिस्थितियाँ पौधों की वृद्धि रोक देती हैं, पत्तियों को नुकसान पहुंचाती हैं और रोगों के लिए अनुकूल वातावरण बना देती हैं। यदि समय पर सतर्कता न बरती जाए, तो उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है।
किसान क्या करें? – बचाव ही सबसे असरदार उपाय:
विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को निम्नलिखित सावधानियाँ जरूर अपनानी चाहिए:
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