कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि खरीफ फसलों की बुवाई के दौरान नैनो डीएपी (Nano DAP) का उपयोग अवश्य करें और परंपरागत डीएपी की संभावित कमी को ध्यान में रखते हुए अन्य वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाएं।
नैनो डीएपी एक आधुनिक, तरल उर्वरक है जिसमें 8% नाइट्रोजन और 16% फॉस्फोरस होता है। इसके नैनो कणों का आकार 100 नैनोमीटर से भी कम होता है, जिससे यह बीज या पौधों की सतह से सीधे अवशोषित हो सकता है। बीज अंकुरण के शुरुआती चरणों में पौधों को आवश्यक पोषक तत्त्व तुरंत मिल जाते हैं, जिससे जड़ों की वृद्धि, सूखा सहन करने की क्षमता और रोग प्रतिरोधक शक्ति में बढ़ोतरी होती है।
बीज उपचार- प्रति किलो बीज पर 3–5 मिली नैनो डीएपी को पानी में घोलकर 20–30 मिनट तक बीज भिगोएं और फिर छाया में सुखाकर बुवाई करें। जड़ या कंद उपचार- 3 से 5 मिली नैनो डीएपी को एक लीटर पानी में मिलाकर उपयोग करें। पत्तियों पर पहला छिड़काव शाखाएं निकलने की अवस्था में (2–4 मिली प्रति लीटर पानी) और दूसरा दूसरा छिड़काव फूल आने से पहले करें।
वैकल्पिक उर्वरकों का करें उपयोग: जिले में खरीफ सीजन में 145.87 हजार हेक्टेयर में खेती होती है, जिसमें सोयाबीन, धान और मक्का प्रमुख फसलें हैं। राज्य स्तर पर डीएपी की संभावित कमी को देखते हुए कृषि विभाग ने निम्न वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाने की सलाह दी है:
इन विकल्पों से एनपीके की जरूरतें पूरी होती हैं, साथ ही सल्फर और पोटाश जैसे सूक्ष्म पोषक तत्त्व भी मिलते हैं, जो पौधों को रोगों से लड़ने में सक्षम बनाते हैं और दानों की गुणवत्ता, चमक एवं वजन बढ़ाते हैं।
एसएसपी का उपयोग कब करें?
एसएसपी कम घुलनशील होता है, इसलिए इसे खेत की तैयारी के समय देना उपयुक्त रहता है। यदि यह उस समय न दिया जा सके तो फूल आने और फल लगने के समय भी दिया जा सकता है। इस समय यह धीरे-धीरे घुलकर पौधों को पोषक तत्त्व उपलब्ध कराता है।
कृषि विभाग की अपील: उप संचालक कृषि ने किसानों से आग्रह किया है कि इस खरीफ सीजन में परंपरागत उर्वरकों के साथ-साथ नैनो डीएपी और वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग कर समृद्ध फसल उत्पादन सुनिश्चित करें और उर्वरक संकट की स्थिति में भी अधिकतम उपज प्राप्त करें।
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