ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली खेती अब तेजी से यंत्रीकृत होती जा रही है। परंपरागत औजारों की जगह अब ट्रैक्टर से चलने वाले आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग बढ़ता जा रहा है, जिससे कृषि कार्यों में समय और श्रम की बचत के साथ-साथ उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि हो रही है।
उप संचालक कृषि श्री यू.पी. बागरी ने जानकारी दी कि ट्रैक्टर से संचालित रोटावेटर और रोटरी टिलर जैसे उपकरण खेतों की गहरी जुताई और खरपतवार नियंत्रण के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। रोटावेटर के माध्यम से किसान खेत की मिट्टी को गहराई तक पलट सकते हैं और जुताई की गहराई भी अपनी सुविधा के अनुसार निर्धारित कर सकते हैं। इस उपकरण के उपयोग से खेत में मौजूद नरवाई और खरपतवार मिट्टी में मिलकर छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल जाते हैं। बारिश के बाद ये तत्व हरी खाद के रूप में कार्य करते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता और जलधारण क्षमता को बढ़ाने में सहायक होती है।
धान की रोपाई से पहले खेत को समतल करने और पडलिंग (कीचड़ तैयार करने) के लिए भी रोटावेटर का उपयोग सफलतापूर्वक किया जा सकता है। यह उपकरण विशेष रूप से 35 से 55 हार्सपावर के ट्रैक्टरों के साथ बेहतर कार्य करता है।
समय और श्रम की बचत: रोटावेटर से तीन घंटे में लगभग एक हेक्टेयर भूमि की जुताई की जा सकती है, जिससे खेती का कार्य तेज़ी से पूर्ण होता है। बाजार में रोटावेटर के विभिन्न मॉडल उपलब्ध हैं, जिन्हें किसान अपनी आवश्यकता और ट्रैक्टर की क्षमता के अनुसार चुन सकते हैं।
अनुदान की सुविधा उपलब्ध: कृषि विभाग द्वारा किसानों को रोटावेटर की खरीद पर अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है। इच्छुक किसान ई-कृषि यंत्र पोर्टल पर पंजीयन कर इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
ये भी पढें- DAP की जगह करें NPK और नैनो खाद का प्रयोग, वैज्ञानिकों ने बताया क्यों है ये ज्यादा फायदेमंद