भारत में कृषि क्षेत्र को डेटा-संचालित और लाभकारी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय ने राज्य सरकारों के सहयोग से अब तक 14 राज्यों के 6.1 करोड़ किसानों को डिजिटल किसान पहचान पत्र (Kisan Pehchaan Patra) जारी किए हैं, जिन्हें उनके भूमि रिकॉर्ड से जोड़ा गया है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को सरकारी लाभ जैसे सीधी सब्सिडी, फसल बीमा, ऋण और कृषि सलाह तक त्वरित पहुंच देना है, साथ ही सरकार के लिए पारदर्शी भूमि स्वामित्व डेटा उपलब्ध कराना, जिससे सब्सिडी में हो रही गड़बड़ियों पर रोक लग सके।
कृषि मंत्रालय का लक्ष्य है कि वित्त वर्ष 2026-27 के अंत तक 11 करोड़ किसानों को इस डिजिटल पहचान से जोड़ा जाए। अब तक जारी किसान IDs का वितरण राज्यवार इस प्रकार है:
इसके अतिरिक्त असम, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, केरल और तेलंगाना में भी इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
डिजिटल आईडी से लाभ: सरकार के लिए: पारदर्शी भूमि रिकॉर्ड और योजनाओं की सटीक डिलीवरी
किसानों के लिए:
AgriStack से किसानों को मिलेगा नया आधार: यह केवल डिजिटल समावेशन की पहल नहीं, बल्कि कृषि को एक सम्मानजनक और लाभकारी पेशा बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। AgriStack के अंतर्गत यह डिजिटल पहचान प्रणाली, आधार की तरह, एक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के रूप में विकसित की जा रही है, जो आने वाले वर्षों में सभी किसानों को कवर करने का प्रयास करेगी।
बटाई पर खेती करने वाले किसानों को भी मिलेगी डिजिटल पहचान: देश में अनुमानित 14 करोड़ किसान हैं, जिनमें से 30-40% खेती पट्टे या बटाई पर करते हैं। राज्य सरकारों के पास डेटा का स्वामित्व रहेगा, लेकिन डिजिटल पहचान पोर्टल में बटाईदार और किराए पर खेती करने वाले किसान भी पंजीकृत हो सकेंगे।
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