रीवा संभाग के रीवा और सतना जिलों सहित आसपास के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर धान की खेती होती है। परंपरागत रूप से किसान धान की रोपाई में मजदूरों पर निर्भर रहते हैं, लेकिन एक समय पर सभी किसानों को मजदूरों की आवश्यकता होने के कारण उन्हें समय पर मजदूर नहीं मिल पाते, जिससे रोपाई में देरी होती है और फसल उत्पादन पर असर पड़ता है।
इस चुनौती का समाधान अब ऑटोमैटिक धान रोपाई यंत्र (पैडी ट्रांसप्लांटर) बनकर सामने आया है। इस यंत्र को ट्रैक्टर से जोड़कर खेतों में सरलता से चलाया जा सकता है। यह यंत्र एक बार में आठ कतारों में पौधों की रोपाई करता है, जिससे पौधे एक समान दूरी पर और सीधी कतारों में लगते हैं। इससे खरपतवार निकालने और अन्य फसल प्रबंधन कार्यों में भी सुविधा होती है।
ऑटोमैटिक यंत्र से रोपाई के लिए धान की नर्सरी चटाईनुमा तकनीक से तैयार की जाती है। एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए केवल 100 वर्गमीटर की नर्सरी पर्याप्त होती है, जिसमें गोबर की खाद और भुरभुरी मिट्टी का उपयोग किया जाता है। तैयार पौधों को रोपाई यंत्र की प्लेट में रखा जाता है, जिससे रोपाई तेज, सटीक और कुशल ढंग से होती है।
इस तकनीक से न केवल मजदूरों पर निर्भरता घटती है, बल्कि श्रम, समय और लागत में लगभग 50% तक की बचत होती है। साथ ही, वैज्ञानिक दूरी पर पौधे लगाने से फसल की वृद्धि बेहतर होती है और उत्पादन में 30 से 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी होती है।
सरकारी अनुदान भी उपलब्ध: ऑटोमैटिक धान रोपाई यंत्र विभिन्न मॉडलों में उपलब्ध है, और इसकी खरीद पर पात्र किसानों को सरकार की ओर से अनुदान भी प्रदान किया जाता है, जिससे इसकी लागत और कम हो जाती है।
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