मध्यप्रदेश सरकार किसानों और छोटे निवेशकों को सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भागीदारी का अवसर दे रही है। "सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना" के अंतर्गत किसान अब बिजली उत्पादक बन सकते हैं और स्थानीय निवेशक भी लाभ कमा सकते हैं। यह योजना किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी और उन्हें दिन में सिंचाई के लिए सस्ती बिजली उपलब्ध कराएगी।
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री शुक्ला ने बताया कि योजना के अंतर्गत विद्युत सब-स्टेशनों की 100 प्रतिशत क्षमता तक सौर परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी। इसके माध्यम से वोकल फॉर लोकल अभियान को भी बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय उद्यमियों को निवेश एवं रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। सरकार इन परियोजनाओं के लिए 25 वर्षों का विद्युत क्रय अनुबंध करेगी।
इस योजना का प्रमुख उद्देश्य किसानों को दिन के समय बिजली उपलब्ध कराना है, जिससे सिंचाई सुविधाएं बेहतर होंगी और उनकी जीवनशैली में सुधार आएगा। साथ ही, 11 केवी फीडरों पर सीधे बिजली आपूर्ति से पारेषण हानि में कमी आएगी और ग्रिड की स्थिरता बनी रहेगी। योजना से सबस्टेशनों पर ओवरलोडिंग, लो-वोल्टेज और पावर कट की समस्या में भी राहत मिलेगी।
परियोजनाओं को मिलेगा वित्तीय सहयोग: परियोजनाओं की स्थापना के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के अंतर्गत 7 वर्षों तक 3% ब्याज में छूट का प्रावधान है। सरकार ने बैंकों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ एमओयू किए हैं, ताकि परियोजनाओं को ऋण आसानी से प्राप्त हो और संचालन बेहतर तरीके से हो सके।
3.45 लाख कृषि पंपों के सोलराइजेशन का लक्ष्य: राज्य में अब तक 80 मेगावाट की सौर परियोजनाएं स्थापित हो चुकी हैं, जिससे 16,000 से अधिक कृषि पंप सौर ऊर्जा से उर्जीकृत हो चुके हैं। 240 मेगावाट की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और 200 मेगावाट की परियोजनाएं प्रक्रियाधीन हैं। कुल 520 मेगावाट की इन परियोजनाओं से 1 लाख से अधिक पंपों को लाभ मिलेगा। पीएम कुसुम योजना के तहत 3.45 लाख पंपों को सोलराइज किया जाना है, जिसमें से 2.45 लाख पंपों के लिए निविदा जारी कर दी गई है।
10 जून को होगा समिट: योजना से जुड़े विकासकों और अन्य हितधारकों के लिए "सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना समिट" का आयोजन 10 जून को कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन हॉल, भोपाल में किया जाएगा। इस समिट में तकनीकी, वित्तीय और निविदा संबंधी जानकारी साझा की जाएगी।
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