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पराली प्रबंधन पर उच्चस्तरीय बैठक: किसानों को जागरूक करने और वैकल्पिक समाधान पर जोर

पराली प्रबंधन बैठक
पराली प्रबंधन बैठक

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने नई दिल्ली में पराली प्रबंधन पर उच्चस्तरीय बैठक की। यह बैठक कृषि भवन में आयोजित हुई, जिसमें पंजाब के कृषि मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुड़ियन, हरियाणा के कृषि मंत्री श्री श्याम सिंह राणा, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही और दिल्ली के पर्यावरण मंत्री श्री मंजींदर सिंह सिरसा ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया।

पराली जलाने से प्रदूषण रोकने पर जोर:

बैठक का मुख्य फोकस पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने, धान अवशेष के बेहतर उपयोग को बढ़ावा देने और किसानों में जागरूकता, वित्तीय सहयोग, मॉनिटरिंग तथा फसल प्रबंधन और विविधीकरण को प्रोत्साहित करने पर रहा।
बैठक की शुरुआत में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में पराली प्रबंधन की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि राज्य स्तर पर पराली प्रबंधन योजनाओं का क्रियान्वयन गंभीरता और सतर्कता के साथ किया जा रहा है तथा अधिकारी और फील्ड विभाग इस कार्य में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं।

हरियाणा के कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को पराली न जलाने के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है, जिससे सकारात्मक परिणाम मिले हैं और किसान वैकल्पिक तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित हुए हैं।

“किसानों को जागरूक करना सबसे अहम” – शिवराज सिंह चौहान:

राज्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अब तक सराहनीय कार्य हुआ है, लेकिन बड़े लक्ष्यों को हासिल करने के लिए लगातार और निरंतर प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को जागरूक करना सबसे अहम है और इसके लिए पंचायतों, स्थानीय प्रतिनिधियों और नोडल अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

प्रत्यक्ष बोआई और फसल विविधीकरण पर बल:

श्री चौहान ने प्रत्यक्ष बीज बोआई (Direct Seeding), फसल विविधीकरण और व्यावहारिक कार्ययोजना पर विशेष चर्चा की। उन्होंने कहा कि ठोस और समन्वित कदम उठाने से निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने राज्यों से अपील की कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में प्रत्यक्ष बोआई को बढ़ावा दें। उन्होंने घोषणा की कि वे स्वयं 12 अक्टूबर को धान की कटाई के तुरंत बाद अपने खेत में गेहूँ की प्रत्यक्ष बोआई करेंगे, ताकि किसान प्रेरित हों।
उन्होंने किसानों से रोटावेटर, चॉपर, बायो-डीकंपोज़र और मल्चिंग उपकरणों के उपयोग के साथ-साथ बायो-सीएनजी और एथनॉल संयंत्रों को फसल अवशेष प्रबंधन से जोड़ने की अपील की।

फंड और मशीनरी का सही उपयोग:

श्री चौहान ने राज्यों को निर्देश दिया कि पराली प्रबंधन के लिए उपलब्ध निधियों का कुशल उपयोग किया जाए ताकि किसानों को मशीनरी की कमी न झेलनी पड़े। उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक समाधान के लिए फसल विविधीकरण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। साथ ही बायो-सीएनजी, पैलेट, कम्पोस्ट इकाइयों, उद्योगों और थर्मल पावर प्लांट्स को पराली संग्रह और निपटान प्रणाली से जोड़े जाने का सुझाव दिया।

“समन्वित प्रयासों से घटेंगे पराली जलाने के मामले”

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रशिक्षण, जागरूकता, क्षमता निर्माण और रियल-टाइम मॉनिटरिंग पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि केंद्र और राज्यों के समन्वित प्रयासों से आने वाले दिनों में पराली जलाने की घटनाएँ और कम होंगी तथा पर्यावरण और जलवायु की रक्षा सुनिश्चित होगी।

भूपेंद्र यादव ने राज्यों की सराहना की बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने राज्यों के प्रयासों की प्रशंसा की और आने वाले 10 दिनों में कृषि मंत्रालय और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय पर बल दिया। उन्होंने पराली के संग्रहण और भंडारण की महत्ता को रेखांकित किया और कहा कि ईंट भट्टों और थर्मल पावर प्लांट्स में पराली का उपयोग औद्योगिक स्तर पर किया जा सकता है।
 

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