'विकसित कृषि संकल्प अभियान' का शुभारंभ 29 मई से हो चुका है और यह 12 जून 2025 तक चलेगा। इस अभियान का उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों, कृषि नवाचारों और सरकारी योजनाओं की जानकारी देकर उनकी उत्पादकता और आय बढ़ाना है।
अभियान के अंतर्गत कृषि वैज्ञानिकों की टीमें गांवों में जाकर किसानों को नई कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण दे रही हैं। रीवा और मऊगंज जिलों के विभिन्न विकासखंडों में वैज्ञानिकों ने किसानों से सीधा संवाद कर उन्हें प्रशिक्षित किया।
किन गांवों में चला अभियान Scientific Teams Reaching Villages:
रीवा जिले के रायपुर कर्चुलियान विकासखंड के बड़ागांव, बघमाड़ा और करौंदी, जवा विकासखंड के छदहना, बढ़ाछ और खारा, गंगेव विकासखंड के कैंदला, दुड़की और डिहिया, मऊगंज जिले के हनुमना विकासखंड के टटिहारा, धौंसड़ और तंदुआवेलन गांवों में अभियान संचालित किया गया।
मिट्टी परीक्षण पर वैज्ञानिकों का विशेष बल
वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया कि मिट्टी परीक्षण कराना बेहद जरूरी है क्योंकि इससे खेत की उर्वरता और उत्पादन क्षमता का सही आकलन किया जा सकता है। परीक्षण से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है, जिससे किसान संतुलित उर्वरक उपयोग कर सकते हैं। इससे उत्पादन और गुणवत्ता में वृद्धि होती है, उर्वरकों की लागत घटती है, और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है।
वैज्ञानिकों ने बताए मिट्टी नमूना लेने के सही तरीके
खेत के 8-10 स्थानों से 15 सेमी गहराई तक की मिट्टी लेकर एकत्र करें।
नमूने को मिलाकर लगभग 500 ग्राम मिट्टी तैयार करें।
खाद के ढेर, पेड़ की छाया और जलभराव वाले स्थानों से नमूना न लें।
यह नमूना स्थानीय कृषि अधिकारी या नजदीकी मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में जमा करें।
किसानों को अपील
वैज्ञानिकों ने अपील की कि किसान बुवाई से कम से कम एक माह पहले मिट्टी का परीक्षण अवश्य कराएं। यह अभ्यास कृषि आय बढ़ाने और मिट्टी की दीर्घकालिक उर्वरता बनाए रखने में सहायक होगा। अधिक जानकारी हेतु किसान स्थानीय कृषि विभाग या मृदा परीक्षण केंद्र से संपर्क कर सकते हैं।