केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज तेलंगाना के किसानों से संवाद किया। यह मुलाकात ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत हुई, जो अब अपने 12वें दिन में प्रवेश कर चुका है।
मंत्री श्री चौहान ने रंगारेड्डी जिले के मैनसनपल्ली गांव में किसानों से प्रत्यक्ष संवाद किया, इसके बाद रामचंद्रगुड़ा गांव में आयोजित किसान चौपाल में भाग लिया। यहां किसानों ने उन्हें बताया कि वे विविधिकरण और एकीकृत खेती के मॉडल को अपनाकर अपनी आय और उत्पादन में वृद्धि कर रहे हैं। कार्यक्रम का समापन इब्राहिमपट्टनम के मंगलपल्ली में किसान सम्मेलन को संबोधित कर किया गया।
अपने संबोधन में मंत्री श्री चौहान ने कहा कि “कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान इसकी आत्मा हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मुझे जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसे मैं पूरी निष्ठा से निभा रहा हूं।” उन्होंने प्रधानमंत्री के तीसरे कार्यकाल का पहला वर्ष पूरा होने पर उन्हें बधाई भी दी। उन्होंने आगे कहा कि किसानों की समृद्धि ही विकसित भारत की नींव है। कृषि क्षेत्र देश की लगभग आधी आबादी को आजीविका देता है और राष्ट्रीय GDP में इसका योगदान 18% है।
अभियान के मुख्य उद्देश्य और वैज्ञानिकों की भूमिका:
मंत्री श्री चौहान ने बताया कि 16,000 वैज्ञानिकों की 2,170 टीमें देशभर में गांवों का दौरा कर रही हैं, ताकि प्रयोगशाला से खेत तक कृषि नवाचार पहुंचे और स्थानीय जलवायु, मृदा और फसल जरूरतों के अनुसार सुझाव दिए जा सकें।
उन्होंने भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान, तेलंगाना को वैश्विक पहचान दिलाने की बात कही और राज्य में पाम ऑयल की खेती को प्रोत्साहित करने हेतु वैज्ञानिक अनुसंधान तेज करने के निर्देश दिए।
रंगारेड्डी जिले में किसानों द्वारा अपनाए गए इंटरक्रॉपिंग, टमाटर-फूलों की खेती और नर्सरी मॉडल की उन्होंने सराहना की। एक किसान द्वारा ₹3 लाख प्रति एकड़ की आमदनी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, "हम किसानों की समृद्धि की राह में आने वाली हर बाधा को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
टमाटर-आलू-प्याज की फसलों के लिए सरकार उठाएगी परिवहन खर्च: उन्होंने बताया कि टमाटर, आलू और प्याज उत्पादकों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा (MIS) योजना लागू की गई है, जिसके तहत अंतरराज्यीय परिवहन लागत सरकार वहन करेगी और भंडारण की बेहतर सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
छोटे किसानों को भी मिलेगा अधिक लाभ: सरकार का विशेष जोर सीमांत और छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने पर है। एकीकृत खेती मॉडल के माध्यम से अधिक उत्पादन और आय सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।