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वैज्ञानिक खेती को मिलेगा बल, वैकल्पिक उर्वरकों का करें उपयोग, लागत में होगी बचत

वैज्ञानिक खेती से क्रांति
वैज्ञानिक खेती से क्रांति

जिले में किसानों को रासायनिक उर्वरकों के संतुलित और विवेकपूर्ण उपयोग के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। उप संचालक कृषि ने बताया कि परंपरागत डीएपी के स्थान पर एनपीके (12:32:16, 20:20:0:13, 10:26:26) और सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) जैसे उर्वरकों का प्रयोग फसल उत्पादन में अधिक प्रभावी और लाभकारी सिद्ध हो रहा है।

एनपीके: पोषक संतुलन का उत्तम विकल्प:

एनपीके उर्वरक पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम प्रदान करता है। पोटेशियम पौधों में रंध्रों के संचालन को नियंत्रित करता है, जिससे जल और पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है। इससे बीजों की गुणवत्ता में सुधार, उत्पादन में वृद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है।

एसएसपी: मिट्टी की उर्वरता और पौधों की मजबूती का स्रोत:

एसएसपी में 16% फॉस्फोरस, 12.5% सल्फर और कैल्शियम होता है। सल्फर पौधों में तेल और प्रोटीन निर्माण में सहायक होता है, जबकि कैल्शियम मिट्टी के pH संतुलन को सुधारता है। 20 किलो यूरिया के साथ 2 बैग एसएसपी का संयोजन एक कम लागत, अधिक उत्पादन वाला समाधान साबित हो सकता है।

जिले में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता:

उप संचालक कृषि ने बताया कि वर्तमान में जिले में सभी प्रमुख उर्वरकों की पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है, जिसमें शामिल हैं:

  • यूरिया: 16,777 मीट्रिक टन
  • डीएपी: 3,565 मीट्रिक टन
  • एसएसपी: 7,186 मीट्रिक टन
  • एनपीके: 4,818 मीट्रिक टन

किसानों से अपील की गई है कि वे वैकल्पिक उर्वरकों का अधिक से अधिक उपयोग करें और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर बेहतर उत्पादन और लाभ प्राप्त करें।

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