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गरीबों, किसानों और श्रमिकों की समृद्धि का आधार बन रही मनरेगा योजना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी नई दिशा

मनरेगा योजना
मनरेगा योजना

राज्य सरकार गरीब, श्रमिक, किसान, महिला और युवाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए मनरेगा योजना को मिशन मोड में संचालित कर रही है। ग्रामीण विकास के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के उद्देश्य से यह योजना गरीबों की आर्थिक मजबूती की दिशा में एक प्रभावशाली पहल साबित हो रही है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। योजना के तहत खेत-तालाब, अमृत सरोवर, कुएं, चेक डैम, भूमि समतलीकरण, मेड़बंदी, बागवानी और वर्षा जल संचयन जैसी गतिविधियों के कार्य किए जा रहे हैं। इससे न केवल रोजगार मिल रहा है, बल्कि सिंचाई और जल संरक्षण की व्यवस्था भी बेहतर हो रही है।

जल संरचनाओं से जुड़े कार्य बन रहे रोजगार का आधार:

प्रदेश सरकार द्वारा चलाया जा रहा “जल गंगा संवर्धन अभियान” वर्षा जल संचयन और जल प्रबंधन को लेकर एक बड़ा प्रयास है। इस अभियान के तहत बड़ी संख्या में जल संरचना से जुड़े कार्य किए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर व्यापक रोजगार उपलब्ध हो रहा है। यह अभियान ऐसे समय में चलाया गया है जब खेती-किसानी की गतिविधियां कम होती हैं और ग्रामीण श्रमिकों को काम की आवश्यकता अधिक होती है। इससे उन्हें पलायन की मजबूरी से भी राहत मिली है।

खेती-किसानी और पारिवारिक ज़रूरतों में मददगार:

मनरेगा योजना से मिलने वाली मजदूरी सिर्फ रोजगार नहीं, बल्कि श्रमिकों और किसानों के लिए आजीविका, खेती में निवेश, घरेलू खर्चों और बच्चों की शिक्षा जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने का एक मजबूत साधन बन गई है। योजना के अंतर्गत सड़कों के सुधार, जल संरक्षण, कूप रिचार्ज पिट और ग्रामीण ढांचे से जुड़े कई विकास कार्यों से न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र मजबूत हो रहे हैं, बल्कि लोगों के जीवनस्तर में भी सुधार आ रहा है। सरकार का उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाला हर व्यक्ति स्थानीय स्तर पर रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर बने। मनरेगा इसी उद्देश्य को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो रही है।

मनरेगा के लाभ:

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी और बेरोजगारी कम करना।
  2. ग्रामीण परिवारों की आय के स्तर में सुधार करना।
  3. ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास करना, जैसे सड़कें, नहरें, तालाब, और कुएं।
  4. पर्यावरण की रक्षा करना।
  5. ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना।
  6. ग्रामीण-शहरी प्रवास को कम करना।

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