संभागायुक्त श्री संजीव सिंह ने निर्देश दिए हैं कि अति वर्षा और संभावित बाढ़ की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सभी संबंधित विभाग अग्रिम तैयारी सुनिश्चित करें।
उन्होंने निर्देश दिए कि नदी-नालों, जलभराव वाले क्षेत्रों, पुल-पुलियों और आबादी वाले इलाकों में हुए अतिक्रमणों की पहचान कर उन्हें हटाया जाए। साथ ही, नालों की समय रहते सफाई कराई जाए ताकि बारिश के दौरान जलभराव की स्थिति उत्पन्न न हो।
राहत-बचाव दल और व्हाट्सएप समूह होंगे सक्रिय
संभागायुक्त ने सभी जिलों में राहत एवं बचाव दलों का गठन कर उन्हें जिला स्तर पर व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से समन्वय में रहने को कहा। साथ ही स्वास्थ्य दलों, खाद्यान्न भंडारण, और अस्थायी आश्रय स्थलों की व्यवस्था समय रहते सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए।
जलाशयों की निगरानी और डेम प्रबंधन की रणनीति तय
श्री सिंह ने सभी जिलों के कलेक्टर्स को निर्देशित किया कि वे अपने जिलों के जलाशयों की स्थिति का आकलन करें और जलप्रवाह की समयबद्ध रणनीति बनाएं, जिससे अचानक जल छोड़े जाने की नौबत न आए। सभी प्रमुख डेम के लिए अलग नोडल अधिकारी नियुक्त करने के भी निर्देश दिए गए।
पूर्व सूचना और तकनीकी तैयारी पर विशेष जोर
संभागायुक्त श्री संजीव श्री सिंह ने कहा कि वर्षा ऋतु के आरंभ से पहले ही जलद्वारों की मरम्मत, विद्युत आपूर्ति की समीक्षा, स्टाफ की उपलब्धता और वर्षा माप के आंकड़े एकत्र करने की प्रक्रिया सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने डाटा सेंटर को लगातार जानकारी उपलब्ध कराने की आवश्यकता भी जताई।
खरीफ उत्पादन बढ़ाने को गांव-गांव पहुंची वैज्ञानिक टीमें
खरीफ फसलों के उत्पादन में वृद्धि के उद्देश्य से देशभर में 16,000 वैज्ञानिकों को 2,170 टीमों में बांटकर विभिन्न गांवों में भेजा गया है। इन टीमें किसानों से दोतरफा संवाद स्थापित कर रही हैं। एक ओर वे क्षेत्रीय आवश्यकताओं, जलवायु, मृदा उर्वरता जैसे कारकों के आधार पर अनुसंधान आधारित कृषि सुझाव दे रही हैं, वहीं दूसरी ओर वे किसानों की समस्याएं सुनकर आगामी कृषि अनुसंधान, नीतियों और रणनीतियों के निर्माण में उपयोगी सुझाव एकत्र कर रही हैं।