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ग्रामीण व्यवसायों को मजबूत करने और महिलाओं के नेतृत्व पर नीति आयोग की बैठक

महिला उद्यमिता और लखपति दीदी की कहानियों
महिला उद्यमिता और लखपति दीदी की कहानियों

नीति आयोग के ग्रामीण विकास प्रभाग द्वारा ‘ग्रामीण सूक्ष्म उद्यमों को मजबूत करने’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन में नीति निर्माता, उद्योग जगत के विशेषज्ञ, वित्तीय संस्थान, अंतरराष्ट्रीय संगठन, तकनीकी प्रदाता और जमीनी स्तर के उद्यमियों ने भाग लिया। संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना और आर्थिक विकास को अधिक समावेशी बनाना था।

महिला उद्यमिता और लखपति दीदी की कहानियों को मिली अहमियत:

कार्यक्रम में महिलाओं द्वारा संचालित ग्रामीण उद्यमों पर विशेष जोर दिया गया। 'लखपति दीदी' जैसी सफल पहलें और महिला उद्यमिता मंच (WEP) की भूमिका को ग्रामीण क्षेत्रों में महिला नेतृत्व को बढ़ाने का प्रभावी माध्यम माना गया। एक विशेष सत्र में महिला उद्यमियों की कहानियों और उनके नवाचारों ने यह साबित किया कि ग्रामीण महिलाएं अब आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रही हैं।

नीतिगत सुधार और डिजिटल पहुंच पर जोर:

संगोष्ठी में ग्रामीण सूक्ष्म उद्यमों के लिए सरल विनियामक ढांचे, किफायती ऋण की उपलब्धता, डिजिटल उपकरणों की आसान पहुंच और बाजार से जुड़ाव को सशक्त बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) जैसी पहलों को ग्रामीण व्यापारियों से जोड़ने के प्रयासों की सराहना की गई।

निजी निवेश और CSR का उपयोग:

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि ग्रामीण उद्यमिता को गति देने के लिए मिश्रित वित्त मॉडल, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) फंड और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही ग्रामीण उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से व्यापक बाजार में पहुंचाने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता बताई गई।

नवाचार और हरित उद्यमिता का संदेश: संगोष्ठी का समापन युवा प्रतिभाओं और हरित उद्यमों के प्रतिनिधियों की प्रस्तुतियों से हुआ, जिसमें नवाचार, पर्यावरणीय स्थिरता और ग्रामीण विकास के बीच गहरे संबंधों को उजागर किया गया। 
इस संगोष्ठी के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि यदि ग्रामीण उद्यमिता को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया जाए और सभी हितधारकों के सहयोग से रणनीतिक प्रयास किए जाएं, तो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संभव है।

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