किसान भाइयों, मार्च से मई 2025 के बीच गेहूं की कीमतों में ऐसा उतार-चढ़ाव देखा गया, जिसने किसानों की बेचैनी बढ़ा दी है। जहां मार्च में गेहूं ऊंचे दामों पर बिक रहा था, वहीं अप्रैल आते-आते भाव तेजी से नीचे लुढ़क गए। मई में कुछ मंडियों में थोड़ी स्थिरता देखने को मिली, लेकिन कई जगहों पर अब भी किसान पहले जैसी कीमतों का इंतजार कर रहे हैं। विदिशा, मेरठ, कानपुर और दिल्ली की नजफगढ़ मंडी जैसे प्रमुख बाजारों से जो डेटा सामने आया है, वह साफ दिखाता है कि थोक भावों में ₹400 से ₹500 प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट में हम आपको मंडीवार आंकड़े, गिरावट के पीछे के कारण और आगे के रुझानों का विस्तार से विश्लेषण दे रहे हैं।
मंडी
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12 मार्च (₹/क्विंटल) | 12 अप्रैल (₹/क्विंटल) | 12 मई (₹/क्विंटल) | मार्च से मई के बीच गिरावट |
विदिशा (MP) | ₹ 3,800 | ₹ 4,001 | ₹ 3,650 | ₹150 |
कानपुर (UP) | ₹ 2,990 | ₹ 2,500 | ₹ 2,500 | ₹490 |
नजफगढ़ (दिल्ली) | ₹ 3,000 | ₹ 2,431 | ₹ 2,582 | ₹418 |
मेरठ (UP) | ₹ 2,995 | ₹ 2,520 | ₹ 2,500 | ₹495 |
गेहूं की आवक (टन में) - मार्च से मई 2025
मंडी | 12 मार्च (टन) | 12 अप्रैल (टन) | 12 मई (टन) | मार्च से मई में परिवर्तन |
विदिशा (MP) | 185 | 871 | 759.62 | बढ़ी- 574.62 टन |
कानपुर (UP) | 1450 | 1650 | 2100 | बढ़ी- 650 टन |
नजफगढ़ (दिल्ली) | 6 | 394 | 78.9 | बढ़ी- 72.9 टन |
मेरठ (UP) | 120 | 40 | 120 | कोई बदलाव नहीं |
गेहूं की कीमतों में गिरावट के संभावित कारण:
किसानों और व्यापारियों पर प्रभाव: गिरते दामों ने जहां किसानों की मुनाफा उम्मीदों पर असर डाला है, वहीं व्यापारी वर्ग के लिए यह एक अवसर हो सकता है, खासकर यदि कीमतें जून तक फिर से ऊपर जाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकारी खरीद प्रक्रिया तेज होती है, तो अगले 15-20 दिनों में बाजार में सुधार की संभावना है।
निष्कर्ष: मार्च की तुलना में मई तक गेहूं की कीमतों में ₹400–₹500 प्रति क्विंटल की गिरावट स्पष्ट रूप से देखी गई है। बाजार में स्थिरता कब लौटेगी, यह खरीफ फसलों की योजना और सरकारी नीतियों पर निर्भर करेगा।
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