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बागवानी किसानों के लिए सुनहरा मौका. आम और लीची पर मिल रही है भारी सब्सिडी, ऐसे करें आवेदन

आम और लीची की खेती
आम और लीची की खेती

बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी है! एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत राज्य सरकार ने आम और लीची की खेती को बढ़ावा देने के लिए 2025-26 के लिए एक नई योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य किसानों की आय में बढ़ोतरी के साथ-साथ फलों की खेती को भी प्रोत्साहित करना है।

किन जिलों में होगा योजना का लाभ?

योजना के तहत आम की खेती राज्य के सभी 38 जिलों में की जा सकती है। वहीं लीची की खेती के लिए सरकार ने 6 प्रमुख जिलों को चुना है – भागलपुर, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, सिवान और वैशाली। इन जिलों के किसान इस योजना के तहत अनुदान लेकर लीची की उन्नत खेती कर सकेंगे।

कितनी जमीन पर मिलेगा फायदा?

इस योजना के तहत किसान न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) और अधिकतम 5 एकड़ (2 हेक्टेयर) भूमि पर आम या लीची की खेती कर सकते हैं। यानी छोटे किसानों से लेकर बड़े किसानों तक सभी को इस योजना से जोड़ा गया है।

पौधे मिलेंगे भरोसेमंद स्रोतों से: किसानों को पौधे किसी भी साधारण जगह से नहीं लेने होंगे। योजना के तहत दिए जाने वाले पौधे सरकारी नर्सरी, कृषि विश्वविद्यालयों, NHB द्वारा मान्यता प्राप्त नर्सरी, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (वैशाली), राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (मुजफ्फरपुर) या सरकारी निविदा से चयनित संस्थाओं से ही प्राप्त किए जाएंगे। इससे किसानों को गुणवत्ता युक्त पौध मिलेंगे, जो बेहतर उत्पादन सुनिश्चित करेंगे।

अनुदान की राशि – दो साल तक सहायता

सरकार इस योजना के अंतर्गत प्रति हेक्टेयर खेती पर दो साल तक अनुदान देगी।

  • पहले वर्ष ₹48,000 की सहायता दी जाएगी।
  • दूसरे वर्ष ₹32,000 की राशि किसानों को दी जाएगी।

इस तरह कुल मिलाकर एक किसान को ₹80,000 प्रति हेक्टेयर तक की मदद मिल सकती है।

कौन ले सकता है योजना का लाभ?

इस योजना का लाभ सिर्फ रैयत (भूमि स्वामी) किसान ही उठा सकते हैं। अगर भूमि का स्वामित्व स्पष्ट नहीं है, तो वंशावली के साथ राजस्व रसीद या स्वामित्व प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। इससे केवल वास्तविक और पात्र किसान ही लाभान्वित होंगे।

बैंक अकाउंट और DBT की शर्त: किसानों को सलाह दी जाती है कि आवेदन करने से पहले DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) से जुड़ा बैंक खाता अपडेट कर लें। अनुदान की राशि सीएफएमएस सिस्टम के तहत सीधे DBT in Cash या DBT in Kind के रूप में दी जाएगी।

आरक्षण और महिला किसानों की भागीदारी

लाभुक चयन प्रक्रिया में सरकार ने सामाजिक संतुलन का भी ध्यान रखा है:

  • 83.903% सामान्य वर्ग,
  • 15% अनुसूचित जाति,
  • 1.097% अनुसूचित जनजाति को प्राथमिकता दी जाएगी।

साथ ही हर वर्ग में 30% महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि महिलाएं भी बागवानी में आत्मनिर्भर बन सकें।

आवेदन कैसे करें? अगर आप ऊपर दी गई सभी शर्तों से सहमत हैं, तो अभी ऑनलाइन आवेदन पोर्टल पर जाकर आवेदन करें। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल है, जिससे किसान घर बैठे ही योजना का लाभ उठा सकते हैं।

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