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Benefits of Solar Pump for Farmers: किसानों को मिलेगी राहत फसल में होगी वृद्धि जाने कैसे करें सोलर पम्प का प्रयोग

Benefits of Solar Pump for Farmers: किसानों को मिलेगी राहत फसल में होगी वृद्धि जाने कैसे करें सोलर पम्प का प्रयोग
किसानों को मिलेगी राहत फसल में होगी वृद्धि जाने कैसे करें सोलर पम्प का प्रयोग

सभी आर्थिक विकास के लिये ऊर्जा एक महत्वपूर्ण साधन प्रदूषण रहित है। भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में सबसे ज्यादा ऊर्जा की खपत अधिक होती है। बिजली की बढ़ती हुई मांग और उसकी पूर्ति के लिये एक चिन्ता का विषय है। लोगों को ऊर्जा की पूर्ति के लिये कैरोसिन (मिट्टी का तेल) पेट्रोल या कोयला जैसे जीवायश्म ईंधन पर निर्भर रहना पड़ता है और उनकी आय का एक बड़ा हिस्सा इनकी जेब पर पड़ता है। जिन गाँव में विद्युतीकरण हो गया है वहां पर विद्युत की आपूर्ति इतनी कम है कि देश के किसानों को जरूरत के वक्त बिजली कृषि के लिये पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाती। 

सिंचाई के लिये सोलर पम्प का प्रयोग Use of Solar Pump for irrigation:

फसल की अच्छी पैदावार के लिये सिंचाई के लिये सोलर पम्प का उपयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सोलर पम्प प्रदेष में लगभग सभी स्थानों में कारगर साबित हो सकता है। सौर ऊर्जा ज्यादातर दिन में सुबह और दोपहर में बढ़ती है। दोपहर में सबसे ज्यादा रहती है शाम आते-आते घटती जाती है। सोलर पम्प दो प्रकार के होते हैं। डी.सी. सरफेस पम्प- यह कम गहराई वाले कुएं तालाब नदी के लिये उपयोग होता है और ए.सी. सबमर्सिबलल पम्प ट्यूबवेल आदि के लिय कारगर है। इससे सिंचाई भूमि की ढाल फसल व मिट्टी के आधार पर निर्भर करती है। सिंचाई सामान्य तरीके से होती है तो 1200 वाट एस.पी.वी. पैनल सिस्टम और कुआँ गहरा हो तो 1800 वाट पैनल सिस्टम की आवष्यकता होती है। टपक सिंचाई से पानी की मात्रा सबसे कम 20-25 हजार लीटर प्रति हेक्टेयर लगती है। 

सोलर पम्प से बिजली की बचत कैसे करें How to Save Electricity with Solar Pump:

सोलर पम्प से सिंचाई करने पर बिजली की खपत कम होती है। कुएँ उथले हों और सिंचाई नालीदार या थालेदार विधि से करना हो तो सौर पम्प सबसे सस्ता और अच्छा साधन है। सोलर पम्प का उपयोग करने से आर्थिक बचत के साथ-साथ पैदावार में भी वृद्धि होती है। सौर पम्प से सिंचाई करने पर 500 लीटर डीजल प्रति वर्षों में बचाया जा सकता है। इसी प्रकार सबमर्सिबल पम्प को सौर ऊर्जा से चलाकर 1500 लीटर डीजल प्रति वर्ष की बचत की जा सकती है।

सोलर पम्प योजना की जानकारी information About Solar Pump Scheme:

सोलर पंप योजना ज़रिये सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाना चाहता है। देश के किसान बिजली से चलने वाले पम्प की सहायता से खेतो में सिचाई करते है। जहाँ पर बिजली बार बार जाने की समस्या होती है, वहां डीज़ल पम्प का उपयोग करते है। डीज़ल पम्प का उपयोग करने से किसानो को काफी खर्च करना पड़ता है और डीजल के उपयोग से प्रदूषण होता है। इस योजना से प्रदेश के किसानों को बहुत लाभ पहुचेगा। इससे राज्य में बागवानी की फसलों को बढ़ावा मिलेगा। इन सोलर पम्प की सहायता से खेतो में सिचाई करने से पर्यावरण प्रदूषण कम होगा और किसानो की आय में वृद्धि होगी। इस योजना से विद्युत कंपनियों द्वारा बिजली की अस्थाई कनेक्शन को कम करने में मदद मिलेगी।

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सौर पम्प का सिंचाई के लिये महत्व: सौर पम्प द्वारा कुएँ तालाब ट्यूबवेल आदि से पानी निकाला जा सकता है तथा नालीदार एवं थालेदार सिंचाई विधि द्वारा पौधों को पानी दिया जाता है। सौर पम्प को टपक विधि से तथा पाईप स्प्रिंकलर तंत्र से जोड़कर कम पानी में ही सिंचाई की जा सकती है। गर्मियों के समय पौधों को अधिक पानी की जरूरत होती है और उस समय धूप भी अच्छी रहती है जिससे सौर ऊर्जा की मदद से अधिक पानी निकाला जा सकता है। सौर पम्प को 8-9 घंटे प्रतिदिन चलाया जा सकता है। बागों तथा खेतों में नाली या थाले बनाकर सिंचाई करने में लगभग 60-70 हजार लीटर हेक्टेयर पानी की आवश्यकता होती है। 

सोलर पम्प योजना के लाभ: सोलर पंप की मदद से आसानी से अपने खेतो में सिचाई कर सकते है। इससे किसानों को लाभ होगा, जिनके खेतों के आसपास बिजली नहीं पहुची है। ऐसे ग्रामीण क्षेत्र जहाँ बिजली की पहुँच है किन्तु विधुत लाइन से कम से कम 300 मीटर की दूरी पर स्थित हो। उन्हें भी इससे लाभ होगा। किसानों पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ कम हो सकेगा। डीजल के इस्तेमाल से होने वाले खर्च एंव प्रदूषण नहीं होगा। 

सौर पम्प की सावधानियाँ और देखभाल: सौर पम्प की देखभाल तथा सुरक्षा रखना जरूरी होता है। मोटर में लगा हुआ फेस का धनायन और ऋणायन का समुचित ध्यान रखना चाहिए। सोलर पैनल को टूटने से बचाना चाहिये। इसे ऐसे स्थान पर लगाना चाहिए जहां प्रकार की छाया ना पड़ रही हो नहीं तो मषीन अच्छी गति से नहीं चल पायेगी। इससे जल एवं तालाब आधारित अन्य व्यवसाय भी आसानी से किये जा सकते हैं। जैसे- मछली पालन, सिंघाड़ा की खेती कमल की खेती बत्तख पालन आदि। यह ऊर्जा देश के समस्त किसानों के लिये लाभदायक और समृद्ध है जो वर्तमान समय में आने वाले ऊर्जा संकटो से काफी हद तक सुरक्षा तथा राहत मिलेगी।

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