25,000 रु.
32.5 टन प्रति एकड़
1,70,000 रु.
32,000 रु.
25 टन प्रति एकड़
1,30,000 रु.
- तरबूज की खेती उष्णकटिबंधीय से लेकर उपोष्ण-कटिबंधीय जलवायु में की जाती हैं।
- गर्मी के मौसम में बेहतर उपज होती है।
- बेहतर गुणवत्ता एवं मीठे तरबूज के लिए, फसल वृद्धि के दौरान शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है।
- फलो में चीनी भरने के लिए बसन्त का मौसम उपयुक्त होता हैं, जिसमें राते ठंडी और दिन गर्म होने चाहिए।
तापमान (Temperature)
- 30 से 35डिग्री सेल्सीयस तापमान उपयुक्त होता है।
- अंकुरण के समय 18-35℃ तापमान की आवश्यकता होती हैं।
जलमांग (Water Requirement)
- इस फसल के लिए 400 से 600 मिलीमीटर जल की आवश्यक है।
- इस फसल के लिए के लिए रेतीली दोमट मिट्टी उपयोगी होती है।
- भूमि की जलनिकासी की स्थिति बेहतर होती है।
- जल भराव की स्थिति में मिट्टी उपयुक्त नहीं होती हैं।
पीएच (Ph)
- आदर्श पीएच 6.0 से 7.5 होना चाहिए।
- अगर पीएच 6 से कम है तब चुने का प्रयोग करें।
- अगर पीएच 7.5 से अधिक है तब जिप्सम का प्रयोग करें।
सुगर बेबी
विशेषताएं - गहरे हरे रंग की खाल, छोटे- मध्यम आकार के फल, फल का मिसोकार्प गाढ़ा लाल, TS-10%
उपज - 190 से 200 क्विंटल प्रति एकड़
ऋतु - सभी मौसम में।
जीवनकाल - 90 से 100 दिन
अर्का माणिक
विशेषताएं - गहरे हरे रंग की खाल, बड़े-गोल आकार के फल, वजन 5 से 6 किलोग्राम, फल का मिसोकार्प, फल काफी ज्यादा मीठे,TS - 10से12%। पाउडरी मिल्ड्यू, एंथ्रोकनोज के प्रति सहनशील, फल की नोक सड़न के प्रति सहनशीलता।
उपज - 235 से 248 क्विंटल प्रति पेड़।
ऋतु - खरीफ एवं रबी
समयकाल - 115 - 120 दिन ।
अर्का ज्योति
विशेषताएं - गहरे हरे रंग की खाल, छोटे- मध्यम आकार के फल, फल का मिसोकार्प गाढ़ा लाल, TS-10%
उपज - 190 से 200 क्विंटल प्रति एकड़
ऋतु - खरीफ और रबी।
जीवनकाल - 130 से 140 दिन
ऑगस्टा
विशेषताएं - गहरे हरे रंग की खाल, छोटे- मध्यम आकार के फल, फल का मिसोकार्प गाढ़ा लाल, TS-10%
उपज - 190 से 200 क्विंटल प्रति एकड़
ऋतु - सभी मौसम के लिए उपयुक्त है।
जीवनकाल - 90 से 100 दिन
शुगर क्वीन
विशेषताएं - फल अधिक लगते है। बेहतर उपज, बेहतर छिलके परिवहन के लिए बेहतर। TSS 12 से 14% , ज्यादा मीठे फल।
उपज - 190 से 200 क्विंटल प्रति एकड़
ऋतु - सभी मौसम के लिए उपयुक्त है।
जीवनकाल - 90 से 100 दिन
- 98 हिस्से वाली पोट्रे ट्रे तैयार करे।
- हर हिस्से में एक बीज डाले ।
- प्रतिदिन दो बार हल्की सिंचाई करें।
- रोपाई के लिए 12 से 14 दिन शेड नेट में स्वस्थ पौधों का प्रयोग करें।
- जुताई मिट्टी की प्रकृति के अनुसार 1 से 2 बार जुताई करें व भूमि भुरभुरी हो जाए।
- आखिरी जुताई के पुर्व 40 किलोग्राम नीम केक डाले।
- खेत में गोबर खाद 3 टन व कंपोस्ट बैक्टिरिया 2 किलोग्राम का मिश्रण तैयार करें।
- अपघटन के लिए 10 से 12 दिन के लिए खुला छोड़ दे।
- मिश्रण को पूरे खेत समान रुप से फैला दे।
- रोटावेटर का प्रयोग कर खेत को समतल कर दें।
- दो पौधों की बीच की दूरी - 2.5 मीटर
- दो कतारों की बीच की दूरी - 1.5 मीटर
जड़ो का उपचार
- समतल टब में 20 लीटर पानी ले।
- 40 ग्राम कॉपर आक्साइड + 40 मिली इमिडाक्लोप्रिड + 100 ग्राम प्लांट ग्रोथ प्रमोटिंग का घोल बनाए।
- रोपाई के पूर्व 5 से 7 मिनट के लिए पौधों को घोल में मिलाए।
- फसल के लिए एनपीके 40:20:20 किलोग्राम प्रति एकड़।
बुवाई के समय
- यूरिया – 45 किलोग्राम
- सिंगल सुपर फॉस्फेट 105 किलोग्राम
- म्यूरेट ऑफ पोटाश – 35 किलोग्राम
बुवाई के एक माह बाद
- यूरिया – 15 किलोग्राम
बुवाई के दो माह बाद
- यूरिया – 15 किलोग्राम
- पानी की आवश्यकता अनुसार 8 से 12 दिन के अंतर में सिंचाई करें।
- बूंद-बूंद सिंचाई 2 दिन में एक बार ।
- जब फसल तैयार हो जाए तब सिंचाई समय के बाद करें।
खरपतवार नियंत्रण (Interculture operation )
- बुवाई के पूर्व खरपतवार नियंत्रण के लिए ब्युटाक्लोर का उपयोग 800 मिली ग्राम प्रति एकड़ के अनुसार कर सकते है।
- जब फसल पक जाती है तब भूमि वाला हिस्सा हल्का पीला हो जाता है।
- उस हल्के हाथो से पीट कर देखें तब हल्का आवाज आ जाती है।
उत्पादन (Yield)
- औसत उपज 180-200 क्विंटल प्रति एकड़।