मिट्टी पृथ्वी पर मौजूद हर स्थलीय जीवन की नींव है चाहे वह वन हो, घासभूमि हो या खेती योग्य भूमि। ऐसे में मिट्टी के स्वास्थ्य (Soil Health) की चर्चा और देखभाल स्वाभाविक है। मृदा में कार्बन की कमी के कारण उपज में गिरावट आती है, भूमि कठोर हो जाती है और जल धारण क्षमता घट जाती है। इसके प्रमुख कारणों में रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग, फसल अवशेषों का जलाना और बार-बार जुताई करना शामिल हैं। आइए जानें कैसे मिट्टी के स्वास्थ को सुरक्षित रख सकते हैं।
अगर आपने कभी ऐसी मिट्टी में खुदाई की है जो नरम, भुरभुरी, सोंधी महक वाली हो और जिसमें कीड़े-मकोड़े सक्रिय हों तो आपने स्वस्थ मिट्टी देखी है। इसके विपरीत, कठोर, फीकी, सूखी और जीवनरहित मिट्टी अस्वस्थ मानी जाती है। तकनीकी रूप से मिट्टी की सेहत वह स्थिति है जब वह पारिस्थितिकी तंत्र की जरूरी सेवाएं जैसे फसल उत्पादन, जल रिसाव और कार्बन संग्रहण को कुशलता से प्रदान कर सके।
मिट्टी में मौजूद पौधे, सूक्ष्मजीव और जीव-जंतु वातावरण से कार्बन को सोखकर अपने शरीर में संग्रहित करते हैं इसे ही कार्बन संकरण (Carbon Sequestration) कहा जाता है। यह प्रक्रिया जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका निभाती है।
मृदा की गुणवत्ता और किसान की समृद्धि: विभिन्न शोधों से यह सिद्ध हो चुका है कि मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाने वाले उपायों से न केवल फसलों की उपज में सुधार होता है, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ती है। अच्छी मिट्टी ही अच्छी खेती की गारंटी है।
स्वस्थ मिट्टी के लिए किसान जरूर अपनाएं ये तीन उपाय:
जैविक उपायों से मिलेंगे मृदा स्वास्थ्य के ये पाँच बड़े फायदे: