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मिट्टी है जीवन की नींव: स्वस्थ मिट्टी से ही बनेगा सुरक्षित भविष्य, जाने मृदा में कार्बन की कमी, कारण, सुधार और लाभ

स्वस्थ मिट्टी
स्वस्थ मिट्टी

मिट्टी पृथ्वी पर मौजूद हर स्थलीय जीवन की नींव है चाहे वह वन हो, घासभूमि हो या खेती योग्य भूमि। ऐसे में मिट्टी के स्वास्थ्य (Soil Health) की चर्चा और देखभाल स्वाभाविक है। मृदा में कार्बन की कमी के कारण उपज में गिरावट आती है, भूमि कठोर हो जाती है और जल धारण क्षमता घट जाती है। इसके प्रमुख कारणों में रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग, फसल अवशेषों का जलाना और बार-बार जुताई करना शामिल हैं। आइए जानें कैसे मिट्टी के स्वास्थ को सुरक्षित रख सकते हैं।

स्वस्थ मिट्टी की कैसे करें पहचान How to identify healthy soil:

अगर आपने कभी ऐसी मिट्टी में खुदाई की है जो नरम, भुरभुरी, सोंधी महक वाली हो और जिसमें कीड़े-मकोड़े सक्रिय हों तो आपने स्वस्थ मिट्टी देखी है। इसके विपरीत, कठोर, फीकी, सूखी और जीवनरहित मिट्टी अस्वस्थ मानी जाती है। तकनीकी रूप से मिट्टी की सेहत वह स्थिति है जब वह पारिस्थितिकी तंत्र की जरूरी सेवाएं जैसे फसल उत्पादन, जल रिसाव और कार्बन संग्रहण को कुशलता से प्रदान कर सके।

मिट्टी, कार्बन और जलवायु परिवर्तन Soil, Carbon and Climate Change:

मिट्टी में मौजूद पौधे, सूक्ष्मजीव और जीव-जंतु वातावरण से कार्बन को सोखकर अपने शरीर में संग्रहित करते हैं इसे ही कार्बन संकरण (Carbon Sequestration) कहा जाता है। यह प्रक्रिया जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका निभाती है।

मृदा की गुणवत्ता और किसान की समृद्धि: विभिन्न शोधों से यह सिद्ध हो चुका है कि मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाने वाले उपायों से न केवल फसलों की उपज में सुधार होता है, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ती है। अच्छी मिट्टी ही अच्छी खेती की गारंटी है।

मृदा में कार्बन की कमी को दूर करने के उपाय:

  1. जैविक पदार्थ बढ़ाएं: हरी खाद, गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और फसल अवशेषों को खेत में मिलाने से मृदा में कार्बन की मात्रा बढ़ती है।
  2. फसल चक्र अपनाएं: चना, अरहर जैसी दलहनी फसलें मृदा को कार्बन और नाइट्रोजन प्रदान करती हैं।
  3. संरक्षित खेती करें: ज़ीरो टिलेज (बिना जुताई) और मल्चिंग (भूमि ढकाव) तकनीकों से कार्बन की हानि रोकी जा सकती है।
  4. जैव उर्वरकों का उपयोग: ह्यूमिक एसिड युक्त जैविक खादों के प्रयोग से कार्बन संचित होता है।
  5. पेड़-पौधे लगाएं: कृषि वानिकी अपनाकर खेतों में जैविक सामग्री की मात्रा बढ़ाई जा सकती है।

स्वस्थ मिट्टी के लिए किसान जरूर अपनाएं ये तीन उपाय:

  1. खरीफ और रबी की बुआई से पहले जैविक खाद डालें।
  2. फसल कटाई के बाद अवशेष न जलाएं, बल्कि उन्हें खेत में मिलाएं।
  3. वर्ष में कम से कम एक बार सनई या ढैंचा जैसी हरी खाद अवश्य बोएं।

जैविक उपायों से मिलेंगे मृदा स्वास्थ्य के ये पाँच बड़े फायदे:

  1. मृदा की उर्वरता बढ़ेगी और फसल उत्पादन में सुधार होगा।
  2. जलधारण क्षमता बेहतर होगी और सूखा सहन करने की क्षमता बढ़ेगी।
  3. मृदा में सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बढ़ेगी।
  4. रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटेगी।
  5. मृदा स्वास्थ्य दीर्घकालिक रूप से बेहतर होगा, जिससे टिकाऊ खेती संभव होगी।
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