पुणे स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER) में "रिसर्च इनोवेशन फॉर कमर्शियलाइजेशन" विषय पर एक दिवसीय इंडस्ट्री-अकादमिक कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला को आईआईटी इंदौर के एग्रीहब सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने आयोजित किया।
कार्यशाला की शुरुआत में प्रो. अरुणा तिवारी (प्रमुख अन्वेषक, एग्रीहब सेंटर) ने कहा कि यदि हम अकादमिक संस्थानों और उद्योगों के बीच बेहतर तालमेल बनाएं, तो अनुसंधान को व्यावसायिक रूप दिया जा सकता है। उन्होंने इस तरह की कार्यशालाओं को भविष्य के नवाचारों के लिए उपयोगी बताया।
आईसीएआर के सहायक महानिदेशक डॉ. अनिल राय ने कहा कि अनुसंधान और औद्योगिक उपयोग के बीच जो दूरी है, उसे खत्म करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम किसानों और कृषि क्षेत्र में नई तकनीक लाने में मददगार हो सकते हैं।
तकनीक से उन्नत बनेगा कृषि क्षेत्र: सी-डैक पुणे की वैज्ञानिक सुश्री लक्ष्मी पनट ने कहा कि कृषि में तकनीक जोड़ने के लिए कई विशेषज्ञों और संस्थानों का एक साथ मिलकर काम करना जरूरी है। उन्होंने मल्टी-बेनेफिशरी कोलैबोरेशन को उत्पादकता बढ़ाने में अहम बताया।
एआई और एमएल से हो सकती है तकनीकी क्रांति: असम साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. नरेंद्र एस. चौधरी ने बताया कि हमें क्षेत्र विशेष पर आधारित एआई और मशीन लर्निंग मॉडल तैयार करने की जरूरत है। वहीं अघारकर रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. प्रशांत ढकेफालकर ने कहा कि अब एआई और एमएल के जरिए एक नई "तकनीकी कृषि क्रांति" की शुरुआत होनी चाहिए।
विशेषज्ञों की खुली चर्चा और समझौते: कार्यशाला में कई क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। एक ओपन पैनल डिस्कशन में उद्योगों और शिक्षाविदों ने साथ मिलकर चुनौतियों और उनके समाधान पर चर्चा की। इसमें आईपी मैनेजमेंट, उत्पादों का व्यवसायीकरण, और अनुसंधान में आने वाली समस्याओं पर भी बात हुई।
नई साझेदारियां और भविष्य की योजनाएं: कार्यशाला में बायोटेक कंसोर्टियम इंडिया लिमिटेड (BCIL) के साथ एक समझौता (MoU) भी किया गया। इसके तहत कृषि क्षेत्र में तकनीकी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही प्रिसीजन एग्रीकल्चर, जीनोम विश्लेषण, और बीज परीक्षण जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करने की सहमति भी बनी। कई स्टार्टअप्स और एनजीओ ने किसानों के हित में संयुक्त परियोजनाएं शुरू करने की इच्छा जताई।