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Goat Farming in Hindi, बकरी पालन कैसे करें, जाने इसकी उन्नत नस्लें और रोग तथा बचाव

Goat Farming in Hindi, बकरी पालन कैसे करें, जाने इसकी उन्नत नस्लें और रोग तथा बचाव
बकरी पालन कैसे करें, जाने इसकी उन्नत नस्लें और रोग तथा बचाव

बकरी पालन गरीब मजदूरों के लिये व्यवसाय का अच्छा साधन है। बकरी छोटे कद वाली तथा सभी तरह के जलवायु में रह सकती हैं। बकरी पालन व्यवसाय के लिये सदियों से राजस्थान के लोगों के लिये जीवन का आधार रहा है। देश में बकरी की 23 देशी व 5 विदेशी नस्लें पायी जाती है। राजस्थान में उन्नत नस्लें सिरोही, मारवाड़ी और जखराना नस्ल की बकरियाँ पाई जाती है। अजमेर जिले की सिरोही नस्ल बकरी की अच्छी नस्ल पाई गयी है। बकरी पालन के लिये कम पूँजी और कम साधनों से परिवार के भरण-पोषण के लिये अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है। बकरी पालक बकरियों को उचित सही पोषणहार, रखाव, प्रजनन, व विभिन्न बीमारियों से रक्षा करके आर्थिक लाभ कमा सकते हैं। जैसे- दुधारू बकरियों को बेचकर, बकरी का दूध बेचकर, मांस के रूप में बाल व खाल द्वारा तथा खाद के रूप में बेचकर अच्छी आमदनी की जा सकती है।

बकरियों के लिये आवास की व्यवस्था:

बकरी पालन या पशुपालन के लिये स्वच्छ और आरामदायक आवास होना आवश्यक है। बकरियों को बाड़ा या झोपड़ीनमा घर का निर्माण करना चाहिए। बकरी पालन जहां जल का जमाव न हो, ऊँची जगह पर स्थान का चुनाव करना चाहिए। एक बकरी के लिये 12-14 वर्गफीट की जगह होनी चाहिए तथा जमीन बलुई हो जिससे कीचड़ न फैले। 100 बकरियों के लिये 60x30 फीट का लकड़ी या जाली का बाड़ा बनवायें साथ ही बकरियों के लिये घूमने और आने-जाने की जगह पर्याप्त हो। 

एस्बेस्ट्स या फूस की चादर की छत झोपड़ीनुमा और चारों तरफ बाहर निकली होनी चाहिए, इससे बरसात में पानी नहीं भरता तथा धूप कम लगती है। बकरियों को पानी ड्रिंकर में देना चाहिए और बाडे के बाहर पानी रखने के लिये हौज बनाना चाहिए। बाड़े के चारों ओर नीम, शीशम, पीपल, आम, बबूल, बैर आदि का पेड़ लगाना चाहिए। सीमेंट के फर्श पर बकरियों को नहीं रखना चाहिए क्योंकि फर्ष पर बकरियों के मलमूत्र से काफी गंदा होता रहता है और अच्छे से साफ न करने पर काक्सिडियोसिस जैसी बीमारियो की संभावना होती है। मिट्टी को खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। हर छः महीने में 6-8 इंच का गहराई तक मिट्टी को निकालकर बदल दें और मिट्टी को खेत में खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं। बकरियों को ठण्ड से बचाने के लिये फर्श पर पुआल बिछाना चाहिए। पुआल न होने पर खरपतवार का प्रयोग कर सकते हैं। 

बकरियों की उन्नत नस्लें Improved Breeds of Goats:

  1. मारवाड़ी नस्ल: यह नस्ल राजस्थान की प्रमुख नस्ल है। यह मीडियम आकार की काल रंग की बकरी है। इन बकरियों का शरीर लम्बे मोटे बालों से ढ़का कान चपटे तथा नीचे की ओर लटके रहते हैं। इनके शरीर से वर्ष में लगभग 200-250 ग्राम बाल प्राप्त होते हैं। इनसे दूध का उत्पादन 92 किलोग्राम 115 दिनों में होता है। सूखा सहन करने की क्षमता होती है।
  2. जमुनापारी: यह नस्ल उत्तर प्रदेश राज्य में पाई जाती है। इसकी गर्दन और कानों पर भूरे या काले निशान होते हैं। यह भारत की लंबे पैरों वाली बकरियों में सबसे बड़ी और सबसे शानदार नस्ल है। औसत जन्म वजन 4 किलोग्राम तक होता है। दिन में 2 से 2.5 किलोग्राम दूध देने की क्षमता होती है।
  3. सिरोही: इस नस्ल का रंग भूरा, सफेद, और रंगों का मिश्रण होता है तथा बाल कठोर होते हैं। सींग छोटे और नुकीले होते हैं जो ऊपर ओर मोड़े होते हैं। औसत दूध का उत्पादन 71 किलोग्राम। 

बकरी पालन कैसे करें How to do Goat Farming:

बकरी पालन करने के लिये छोटे और बड़े पैमान पर फार्म या बांस का बाड़ा बनाकर कम लागत में शुरू कर सकते हैं। घर में बकरियों को पालने के लिये बाड़ा, आवास, झोपड़ी  बनाकर साफ-सफाई करके चारा-पानी के व्यवस्था करनी होगी। कुछ किसान भाई खेतों में बकरियां पालते हैं उनके लिये आसानी से भोजन मिल जाता है और बकरियों को भूसा या चारा कम देना पड़ता है। 10-15 बकरियां पालने के लिये कम से कम 15-20 गज जगह होनी चाहिए जिसमें बकरियां अच्छे से पल सकती हैं। बकरी पालन करते समय बकरियों को खिलाने के लिये चारा, भूसा, और उनमें होने वाली बीमारियों के लिये देखभाल करना जरूरी होता है। 

मध्यप्रदेश में बकरी पालन योजना Goat Farming Scheme in Madhya Pradesh:

मध्य प्रदेश सरकार ने आये दिन बेरोजगारी देखते हुए बकरी पालन योजना शुरू हुई। इस योजना के अंतर्गत आप अपना बकरी पालन व्यवसाय शुरू कर सकते हैं जिससे गरीब मजदूरों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाया जा सकता है। बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करने के लिये सरकार बैंक से लोन उपलब्ध करवायेगी साथ ही सब्सिडी भी देगी। इस योजना का उद्देश्य बकरी पालन को बढ़ावा देना साथ ही राज्य के लोगों को रोजगार प्रदान कराना है। मध्यप्रदेश में बकरी पालन के लिये आवेदन करने वाले के पास बकरी फार्म में कम से कम 10 बकरियां और 1 बकरा होना आवश्यक है।

बकरी पालन के फायदे Benefits of Goat Farming:

बकरी पालन से बकरी पालक को बहुत सारे लाभ प्राप्त होते हैं। बकरियों से मांस, दूध, बाल-खाल को बेचकर बकरी पालक अच्छी कमाई कर सकते हैं। बकरियां एक वर्ष में 2-3 बच्चों को जन्म देती है इस प्रकार ज्यादा बकरियों को बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। बकरी पालन में आवास व इनका रख-रखाव में भी कम खर्च आता है। बकरी पालन से केन्द्र सरकार द्वारा लोन भी दिया जाता है। 

बकरी पालन की लागत और मुनाफा: बकरी पालक से कम खर्च में बकरी पालकर अधिक मुनाफा कमा सकते है। एक बकरी की कीमत लगभग 12-14 हजार रूपये तक बेचते हैं इस प्रकार 20-25 बकरियों को बेचकर तीन से साढ़े तीन लाख रूपये तक की कमाई की जा सकती है। बकरी के दूध बेचकर भी अधिक कमाई की जा सकती है। बकरियों से दूध, खाल, मांस, ऊन और खाद बेचकर भी मुनाफा कमा सकते हैं। ईद के समय पर बकरियों की डिमांड ज्यादा होती है, जिससे इनको बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

बकरियों में लगने वाले रोग व बचाव:

  1. पी.पी.आर. रोग: यह विषाणु जनित रोग है जिससे बकरियों में मृत्यु होती है। यह रोग कम उम्र के बकरियों, मेमनों में प्राण घातक होता है। इसमें बकरियां काफी सुस्त रहती है, बुखार के लक्षण देखने को मिलते हैं। बचाव- रोगग्रसित बकरियों को स्वस्थ्य बकरियों से अलग रखना चाहिए। रोगी बकरियों का चारा स्वस्थ्य बकरियों को नहीं खिलाना चाहिए। पी.पी.आर. का टीका लगवायें।
  2. आंतरिक परजीवी: यह रोग फीताकृमि, गोलकृमि के प्रकोप से दूध उत्पादन कम हो जाता है और वजन घठ जाता है। बचाव- कृमिनाशी दवा- अलबेंडाजोल, फेनबेंडाजोल बकरियों को पिलाना चाहिए। 
  3. बाहृ परजीवी: यह रोग जू तथा किल्ली के माध्यम से होती है जो काफी हानिकारक होती है। बचाव- बाहृ परजीवी नाषी दवा को पानी में घोलकर बकरियों के शरीर पर छिड़काव करें।
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