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Chilli Cultivation in Hindi, बदल जायेगी किसानों की किस्मत, इस प्रकार से करें मिर्ची की खेती

Chilli Cultivation in Hindi, बदल जायेगी किसानों की किस्मत, इस प्रकार से करें मिर्ची की खेती
बदल जायेगी किसानों की किस्मत, इस प्रकार से करें मिर्ची की खेती

मिर्च की खेती भारत के कई प्रदेशों में की जाती है। यह एक मसाला फसल है जो नगदी फसल के रूप में उगाया जाता है। मिर्च के बिना किसी भी सब्जी या अन्य भोज्य पदार्थों में इसका स्वाद नहीं मिलता। बाजारों में इसकी मांग बहुत ज्यादा होती है। मिर्च में विटामिन ए व सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है तथा यह भोजन का प्रमुख अंग है। इसका उपयोग हरी मीठी मिर्च, अचार व पकी लाल मिर्च सुखाकर मसाले के रूप में किया जाता है। मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी मिर्च मण्डी खरगोन जिले के बेड़िया गाँव में स्थित है। धार जिले की धामनोद मिर्च  मण्डी प्रसिद्ध है। 

मिर्च की खेती की जानकारी Chilli Cultivation information:

मिर्च की फसल 140 से 180 दिन तक की होती है और यह 15 जून से 15 जुलाई तक खेतों में लगाई जा सकती है। इसके पौधे से लाल व हरी मिर्च दोनों तरह की फसल ले सकते हैं। एक सीजन में एक पौधे से मिर्च का उत्पादन 8 से 10 बार लिया जा सकता है। इसे सलाद, चटनी, अचार, मसाला आदि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। मिर्च आँखो की रोशनी हृदय रोगों के लिये लाभदायक है।

मिर्च की खेती कैसे करें How to do Chilli Cultivation:

मिर्च की खेती वर्ष में तीन बार ली जा सकती है। यह फसल खरीफ व गर्मी में ली जाती है। सबसे पहले नर्सरी में बीजों की बुवाई करके पौधे को तैयार किया जाता है। इसके लिये मई-जून में या गर्मी की फसल हेतु फरवरी-मार्च में नर्सरी में बीजों की बुवाई करें। एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिये पौध तैयार करने के हेतु एक किलो बीज तथा संकर बीज 250 ग्राम/हेक्टेयर पर्याप्त है। नर्सरी वाले स्थान की गहरी जुताई करे और खरपतवार रहित बनाकर 1 मीटर चौड़ी 3 मीटर लम्बी व 10-15 से.मी. जमीन से उठी हुई क्यारियां तैयार कर लेना चाहिए।

जलवायु तथा मिट्टी Climate and Soil:

मिर्ची की खेती के लिये 15-35 डिग्री सेल्सियस तथा आद्र्र्र जलवायु उपयुक्त होती है और इसे उष्ण तथा उपोष्ण भागों में आसानी से की जा सकती है। 40 सेन्टीग्रेड से अधिक तापमान होने पर इसके फल और फूल गिरने लगते हैं। तापमान अधिक होने पर मिर्च अच्छे से नहीं उग पाते तथा फूल एवं फल झड़ने लगते हैं। जहां पाले का प्रकोप ज्यादा होता है उन क्षेत्रों में अगेती फसल लेनी चाहिए। 800-1000 मिमी. वार्षिक वर्षा उपयुक्त होती है। मिर्च की खेती अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी, काली एवं लाल मिट्टी सर्वोत्तम है जिसमें कार्बनिक पदार्थ की अधिकता हो। मिट्टी का पी.एच. मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। 

मिर्च की रोपाई कैसे करें How to plant chillies:

मिर्च की बुवाई नर्सरी में 4-5 सप्ताह बाद पौधे रोपने के लिये तैयार हो जाती है। गर्मी की फसल में कतार से कतार की दूरी 60 सेमी. तथा पौधों के बीच की दूरी 35 से 40 सेमी. करनी चाहिए। खरीफ के लिये कतार से कतार की दूरी 45 सेमी. और पौधे से पौधे की दूरी 30 से 45 सेमी. होनी चाहिए।                                                

मिर्च की उन्नत किस्में improved variety of chilli:

  1. तेजस्विनी- मिर्च की यह किस्म हरे रंग एवं मध्यम आकार की होती है। 10 सेमी. लम्बे फल सीधे, नुकीले होते हैं। इसकी पहली तुड़ाई रोपाई के 75 दिनों बाद करनी चाहिए। इसका उत्पादन 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।
  2. आर्का हरित (एम.एस.एच.172) - इस किस्म के पौधे की पत्तियाँ मध्यम आकार लम्बी एवं सीधी बढ़वार फल 6-8 सेमी. लम्बे, पतले, हरे रंग के होते हैं। पौधे रोपाई के 50-60 दिन बाद प्रथम तुड़ाई की जा सकती है। हरे फलों का औसतन उत्पादन 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है।
  3. पूसा सदाबहार- इस किस्म का पौधा सीधा पत्तियां हरी व 6-8 सेमी लम्बे फल होते हैं। इसकी पत्ती मरोड़ वायरस के प्रति प्रतिरोधी होती हैं। इसकी अवधि 150-170 दिन होती है व ताजा हरी मिर्च की 110-125 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व सूखी मिर्च की 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है। 
  4. अर्का मेघना- इस किस्म के पौधे लम्बे व फैलने वाले होते हैं फल 10 सेमी लम्बे गहरे हरे होते हैं। यह 150-160 दिन की होती है और चूर्णिल आसिता व वायरस के प्रति सहनशील होती है। इसकी उपज 33.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरी तथा 5 क्विवंटल प्रति हेक्टेयर सूखी मिर्च की मिलती है।    

खाद व उर्वरक Manure and Fertilizer: खेत की जुताई से पूर्व 150 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रति हेक्टेयर अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में डालकर मिला देना चाहिए। मिर्च की अच्छी उपज लेने के लिये 70-80 किलो नाइट्रोजन 40-45 किलो फास्फोरस एवं 40-45 किलो पोटाश की मात्रा रोपण से पहले भूमि की तैयारी के समय तथा शेष नाइट्रोजन को दो बराबर भागों में बांटकर रोपण से 25-45 दिनो बाद खड़ी फसल में डालकर सिंचाई करना चाहिए। भूमि की तैयारी के समय तथा शेष मात्रा 30 से 45 दिन बाद बराबर भागों में बांटकर खेत में छिड़कने के बाद तुरंत सिंचाई करना चाहिए।

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मिर्च की सिंचाई कैसे करें How to irrigate chillies: मिर्च का पौधा लगाने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करना आावष्यक है। गर्मियों में 5 से 7 दिनों के बीच और बरसात में आवष्यकतानुसार सिंचाई करना चाहिए। स्प्रिंकलर या फव्वारा विधि से सिंचाई करना चाहिए।

कीट तथा नियंत्रण Disease and Control:

  1. आर्द्र गलन रोग: इस रोग का प्रभाव पौधे की छोटी अवस्था में होता है। छोटे पौधे गिरकर मर जाते हैं और तने का भाग काला पड़ जाता है। नियंत्रण हेतु बुवाई से पहले थाइरम या केप्टान 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से प्रयोग करें। नर्सरी आसपास की भूमि से 4 से 6 इंच उठी हुई भूमि में बनायें।
  2. मोजेक विषाणु व पर्णकुंजन रोग: इस रोग के प्रकोप से पत्ते सिकुडकर छोटे हो जाते हैं और झुर्रियाँ पड़ जाती है। पत्तियों पर गहरे व हल्का पीलापन लियो हुए धब्बे बन जाते हैं। नियंत्रण हेतु पौधों को उखाड़कर जला देना चाहिए। डाइमिथोएट 30 ई.सी. एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की से छिड़काव करना चाहिए।
  3. तना गलन रोग: यह रोग ग्रीष्मकाल के समय मिर्च में लगता है। नियंत्रण हेतु रोपाई से पहले एक घंटे तक 0.2 प्रतिशत के घोल में डुबोकर लगावें तथा मृदा मंजन करायें।
  4. तुड़ाई एवं उपज: हरी मिर्च की तुड़ाई फल लगने के 18-20 दिन बाद कर सकते हैं। लाल मिर्च की तुड़ाई के लिये जब हरी मिर्च की तुड़ाई एक से दो बार तथा लाल होकर पक जाय तब लाल मिर्च की तुड़ाई की जा सकती है। हरी मिर्च की लगभग 100 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सूखी लाल मिर्च प्राप्त की जा सकती है। शिमला मिर्च का उत्पादन 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार की जा सकती है।
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