18 दिसंबर 2024 को नई दिल्ली में पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय की अध्यक्षता में देश में दूध की स्थिति पर समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, राष्ट्रीय सहकारी डेयरी महासंघ और विभिन्न राज्य सहकारी डेयरी महासंघों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में दूध उत्पादन, दूध खरीद, और डेयरी क्षेत्र की प्रगति पर विस्तृत चर्चा की गई।
सचिव, DAHD ने बताया कि भारत ने 2023-24 में लगभग 239.3 मिलियन मीट्रिक टन दूध उत्पादन के साथ वैश्विक स्तर पर अपना प्रथम स्थान बरकरार रखा है। उन्होंने डेयरी महासंघों को किसानों से खरीदे जाने वाले दूध की कीमत बढ़ाने और उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाने पर जोर दिया। सचिव ने यह भी कहा कि देश में दूध की स्थिति स्थिर बनी हुई है। नवंबर 2024 में दूध का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) 2.09% और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) 2.85% दर्ज किया गया। इसके साथ ही दूध पाउडर, सफेद मक्खन और घी जैसे उत्पादों का पर्याप्त भंडारण है।
गोबर आधारित सीएनजी और जैविक खाद उत्पादन में उन्नति: अब तक देश के 19 राज्यों में 27,000 से अधिक घरेलू बायोगैस संयंत्र विभिन्न सरकारी योजनाओं, CSR पहलों और NDDB के सहयोग से स्थापित किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त, 140 टन/दिन की क्षमता वाले दो बड़े गोबर आधारित CNG संयंत्र कार्यरत हैं, और 675 टन/दिन की क्षमता वाले 11 अन्य संयंत्र निर्माणाधीन हैं।
घरेलू बायोगैस पहल के तहत अब तक 1,040 किसानों को 11,000 कार्बन क्रेडिट अर्जित करने में सहायता मिली है। इसके अलावा, NDDB ने सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत गोबर का उपयोग परिवहन ईंधन और जैविक खाद के उत्पादन में किया जाएगा।
सचिव, DAHD ने डेयरी महासंघों को सर्कुलर अर्थव्यवस्था अपनाने और बायोगैस परियोजनाओं पर कार्य शुरू करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि डेयरी क्षेत्र का कार्बन फुटप्रिंट कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रत्येक राज्य को आगामी सम्मेलन में कम से कम एक बायोगैस परियोजना प्रस्तुत करनी चाहिए। सचिव ने प्रसंस्कृत दुग्ध उत्पादों की खपत में 20% वृद्धि के अनुरूप मूल्य वर्धित उत्पादों के विकास पर जोर दिया। इसके साथ ही राष्ट्रीय
जल मिशन के तहत डेयरी मूल्य श्रृंखला में जल उपयोग दक्षता बढ़ाने और राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना का समर्थन करने के लिए स्वचालन को अपनाने की भी चर्चा की गई।
इसके अतिरिक्त, सचिव ने दूध खरीद बढ़ाने और इसे संगठित क्षेत्र में लाने के लिए सहकारी समितियों के गठन की गति तेज करने का निर्देश दिया, ताकि देश के दूध उत्पादकों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया जा सके।